कांग्रेस को झटका:
विधायक पवन काजल व लखविंद्र राणा भाजपा में शामिल

लंबे कयासों के बाद कांग्रेस के दो मौजूदा विधायकों ने भाजपा का दामन थाम लिया। पार्टी हाइकमान को झटका देते हुए कांगड़ा से मौजूदा कांग्रेस विधायक पवन काजल और नालागढ़ से विधायक लखविंदर राणा ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की मौजूदगी में दिल्ली में भाजपा की सदस्यता ली। पिछले दो दिनों से प्रदेश में सियासी उठापटक की चर्चा हो रही थी और कांग्रेसियों के भाजपा के करीब होने की बात चल रही थी।

इन दोनों विधायकों के भाजपा में आ जाने के बाद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश में भाजपा मजबूत हो रही है। कांग्रेस के दो कद्दावर नेता आज हमारे साथ जुड़े है। केंद्र ने हमारी हरसंभव मदद की है और नवंबर महीने में हिमाचल में चुनाव संभावित हैं। हमने हिमाचल को अलग पहचान दिलाई है।


दोनों विधायकों के भाजपा के साथ पुराने संबंध

कांग्रेस से भाजपा के पाले में गए दोनों विधायकों पवन काजल और लखविंदर राणा के भाजपा से पुराने संबंध रहे हैं। 2017 में कांग्रेस के टिकट पर कांगड़ा से जीते पवन काजल भाजपा से 2012 में टिकट के चाहवान थे। टिकट न मिलने पर उन्होंने आजाद प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा और कांग्रेस में शामिल हुए। वहीं नालागढ़ के विधायक लखविंदर राणा का भाजपा और संघ से पुराना जुड़ाव रहा है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और भाजयुमो में सक्रिय रहे राणा ने 2005 में कांग्रेस का हाथ थामा था। अब 17 बाद दुबारा वह भाजपा में लौटे हैं।


इस बदलाव का क्या रहेगा प्रभाव

पिछले विस चुनाव में जीत हासिल करने वाले दोनों विधायकों का विरोधी पार्टी के पाले में चले जाना कांग्रेस के लिए बड़ा झटका है। गद्दी-ओबीसी समुदाय बहुल कांगड़ा जिला में पवन काजल एक बड़ा नाम हैं। मौजूदा समय में कांग्रेस के पास पवन काजल ही कांगड़ा का बड़ा चेहरा थे इसी के चलते पार्टी ने उन्हें कार्यकारी अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी सौंपी थी। मगर पूर्व विधायक सुधीर शर्मा से उनकी तकरार और पार्टी के आयोजनों में प्रमुखता न मिलना काजल के मन में खटास भर रहा था। अब पवन काजल के भाजपा में जाने के बाद अब कांग्रेस के सामने कांगड़ा जिला में फतह हासिल करना कठिन होगा। उपचुनावों और लोकसभा चुनावों में लगभग नदारद रहे सुधीर शर्मा अकेले दम पर कांगड़ा में कांग्रेस की नैया पार लगा पाएंगे यह दूर की कौड़ी नजर आती है।


नालागढ़ के विधायक लखविंदर राणा भी पार्टी की अनदेखी के चलते ही भाजपा के पाले में गए। बकौल राणा कांग्रेस में उन्हें कमजोर करने की साजिश चल रही थी। पार्टी उनकी जगह हरदीप बावा को स्थापित करने की कोशिश में थी जो उन्हें नागवार था। उन्होंने कई बार पार्टी के सामने यह मुद्दा भी उठाया था लेकिन उन्हें कोई संतोषजनक जबाव नहीं मिला। राणा के भाजपा के पाले में जाने से नालागढ़ में कांग्रेस को नुक्सान उठाना पड़ सकता है हालांकि पार्टी हरदीप बावा को लेकर संतुष्ट है।

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