पंचायतों में प्लास्टिक मैनेजमेंट के लिए बनेंगे यूनिट

प्रदेश की पंचायतों में अब प्लास्टिक कचरा बिखरा हुआ नहीं रहेगा। प्लास्टिक कचरे के प्रबंधन के लिए पंचायतीराज विभाग की ओर से विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। प्रदेश के 88 विकासखंडों में प्लास्टिक कचरे के प्रबंधन के लिए प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट स्थापित किए जा रहे हैं, ताकि प्लास्टिक कचरे का सही तरीके से निपटारा किया जाए सके।

प्रत्येक ब्लॉक स्तर पर बनाए जा रहे प्लास्टिक वैस्ट मैनेजमेंट यूनिट के तहत 25 तैयार कर लिए गए है। यानी अब हर ब्लॉक में प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट लगने से जहों कूड़े कचरे का सही ढंग से निस्तारण होगा, वहीं यह कचरा सडक़ निर्माण में प्रयोग में लाया जाएगा।

ग्रामीण क्षेत्रों को मॉडल बनाकर उनमें ठोस अपशिष्ट, तरल अपशिष्ट एवं मलीय कचरा प्रबंधन जैसे कार्य करवाए जाएंगे। प्लास्टिक वैस्ट मैनेजमेंट यूनिट स्थापित करने के लिए सबसे पहले जगह का चयन किया जाता है। इसके बाद शैड चयन व संयंत्र चयन का कार्य किया जाता है और फिर संयंत्र के लिए टैंडर काल किए जाते है।

संयंत्र में बैल्डर, शैडर और मिट्टी हटाने वाली मशीन शामिल होती है। सबसे महत्वपूर्ण इसके लिए बिजली का कनेक्शन लेना अनिवार्य होता है, ताकि यह यूनिट पूरी तरह से काम कर सके। बताया जाता है कि एक यूनिट पर करीब 16 लाख रुपए खर्च होते है। राज्य सरकार ने अपने बजट में भी प्रत्येक ब्लॉक में प्लास्टिक वैस्ट मैनेजमेंट यूनिट पीडब्लयूएमयू के स्थापना का प्रावधान किया है, जिसे लेकर विभाग मुस्तैद हो गया है।

मुख्यमंत्री ने बजट में की थी घोषणा

मुख्यमंत्री सुक्खविंदर सिंह सुक्खू ने वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए पेश किए गए वार्षिक बजट में भी यह घोषणा की थी। मुख्यमंत्री ने कहा था कि प्रदेश के हर जिले में प्लास्टिक कचरे के निष्पादन के लिए प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट की स्थापना की जाएगी। स्वच्छ भारत मिशन और सीएसआर फंड का उपयोग कर एक गा्रम पंचायत को आदर्श ग्राम पंचायत के रूप में विकसित किया जाएगा। इस मॉडल को अन्य ग्राम पंचायतों में भी दोहराया जाएगा।

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