पंचायत चुनावों में सहकारी सोसायटी का डिफाल्टर व्यक्ति अब चुनाव नहीं लड़ पाएगा। अगर चुनाव लडऩे वाला व्यक्ति की सोसायटी द्वारा डिफाल्टर घोषित किया गया है, तो पंचायती के चुनाव लडऩे के लिए उसे नो डयूज सर्टिफिकेट जारी नहीं किया जाएगा। प्रदेश सरकार ने पंचायती राज निर्वाचन नियम 1994 के नियम 35 में संशोधन कर यह व्यवस्था बनाई है। प्रदेश सरकार की ओर से नियम 35 में किए गए संशोधन को ई-गजट पर प्रकाशित कर दिया गया है।
पंचायतों के चुनावों में चुनाव लडऩे वाले व्यक्ति को पहले पंचायतों से नो डयूज सर्टिफिकेट लेना पड़ता था। यानि वह पंचायत स्तर पर किसी प्रकार का डिफाल्टर नहीं होना चाहिए, लेकिन सोसायटी के डिफाल्टर के लिए ऐसी कोई व्यवस्था नहीं थी। सोसासटी से डिफाल्टर व्यक्ति पहले चुनाव लड़ सकता था। ऐसे में अब सरकार ने नियमों में संशोधन कर नई व्यवस्था लागू की है।
इसके मुताबिक जो व्यक्ति पहले सहकारी सोसासयटी द्वारा डिफाल्टर घोषित किया गया हो, वह अब चुनाव नहीं लड़ पाएगा। चाहे वह गांव के स्तर की कोई सोसायटी हो, पंचायत स्तर की हो या फिर जिला व प्रदेश की स्तर की सोसायटी हो। ई गजट पर प्रकाशित अधिसूचना के अनुसार हिमाचल प्रदेश में संचालित की जाने वाली किसी भी सहकारी सोसायटी के डिफाल्टर को चुनाव लडऩे का अधिकार नहीं होगा।
इसके अलावा पंचायत स्तर का चुनाव लडऩे से पहले सभी इच्छुक उम्मीद्वारों को एक शपथ पत्र भी दायर करना पड़ेगा। इस शपथ पत्र में उसे बताना होगा कि वह किसी भी सहकारी सोसायटी से नकद, ऋण और अग्रिम के बाबत व्यतिक्रमी यानि डिफल्टर नहीं है।
गौरतलब है कि प्रदेश में वर्ष 2021 में हुए पंचायत चुनावों में सरकारी जमीन पर कब्जा करने वाले व्यक्ति को भी चुनाव लडऩे से वंचित रखा गया था। हिमाचल प्रदेश में दादा-दादी, माता-पिता या पुत्र और अविवाहित बेटी ने अगर सरकारी जमीन पर कब्जा किया है तो उस परिवार का कोई भी सदस्य चुनाव नहीं लड़ सकता। ऐसे मामलों में भी नामांकन के साथ प्रत्याशी को ऐसे मामलों में संलिप्त न होने का शपथ पत्र देने की व्यवस्था है। अगर कोई इन मामलों में संलिप्त पाया जाता है तो उनका नामांकन रद्द हो जाता है। वहीं सरकार ने अब सहकारी सोसायटी के डिफाल्टर पर भी चुनाव न लडऩे की पाबंदी लगा दी है।