सूखे की मार: 1.25 हजार बागवानों की रोजी-रोटी पर खतरा

हिमाचल में करीब एक लाख पच्चीस हजार से ज्यादा परिवार सेब बागवानी से जुड़े है। सूखे के कारण इन परिवारों की रोजी रोटी पर खतरा मंडरा रहा है। 2 महीने से चल रहा ड्राई स्पेल किसानों-बागवानों की रोजी रोटी के लिए खतरा बन गया है। मौसम विभाग के अलर्ट के बाद भी बादल बिन बरसे वापिस लौट रहे हैं। गर्मी का प्रकोप सर चढ़ कर बोल रहा है। गर्मी का असर इतना हो गया है कि सेब के बागीचों में बागवानों द्वारा लगाए नए पौधे सूखने लगे है। हर साल लाखो रुपए खर्च कर बागवान नई प्लांटेशन करते है, लेकिन सूखे के कारण अब यह पौधे सूख रहे हैं, जिससे बागवानों की मेहतन के साथ साथ खर्च पर पानी फिरने लगा है।
बागवानों का कहना है कि 6500 से 7000 हजार फीट की ऊंचाई से नीचे के इलाकों में तापमान काफी ज्यादा हो गया है। कई क्षेत्रों में तो तापमान 30 से 32 डिग्री हो गया है। इसके कारण बागीचों में नमी बिल्कुल खत्म हो गई है। बागीचों में सेट हुए सेब के फलों की ड्रॉपिंग शुरू हो गई है। बागवानों का कहना है कि ड्रॉट के कारण आधे से ज्यादा फसल तबाह हो गई है। वहीं स्टोन फ्रूट पर सूखे का काफी ज्यादा असर दिख रहा है। चैरी और प्लम में ड्रॉपिंग शुरू हो गई है। बताया जा रहा है कि सेब के मुकाबले स्टोन फ्रूट के लिए नमी की ज्यादा आवश्कता रहती है। नमी न होने के कारण इन फसलों में ज्यादा असर दिख रहा है। मटर, आलू, फ्रासबीन, फूलगोभी व अन्य नकदी फसले बर्बाद होने के कगार पर है। सिंचाई के लिए पानी किसानों को नहीं मिल पा रहा है। किसानों बागवानों ने सरकार से मांग उठाई है कि सूखे की स्थिति को देखते हुए सरकार इमरजेंसी घोषित करे। किसानों बागवानों के नुकसान का जायजा लेकर केंद्र से भी राहत राशि मांगी जाए और किसानों-बागवानों को मुआवजा दिया जाए।
नीति बनाए सरकार: सेहटा


फेडरेशन ऑफ एप्पल गोवर्स एसोसिएशन के महासचिव प्रशांत सेहटा का कहना है कि सरकार सूखे से प्रभावित किसानों को मुआवजा प्रदान करे। साथ ही एक ऐसी नीति तैयार की जाए कि आने वाले सालों अगर इस तरह की स्थिति पैदा होती हैं तो उससे निपटने में हम सक्षम हो। डैम बनाकर पानी संग्रहित किया जाए। उनका कहना है कि इस अवस्था से अभी हम सबक नहीं लेंगे तो आने वाले दिनों में स्थिति अधिक भयावह होगी।
फील्ड में आकर हालात देखे विभाग: संजीव
छोहारा एप्पल वेली सोसायटी के अध्यक्ष संजीव ठाकुर का कहना है कि सूखे की स्थित किसानों बागवानों के लिए खतरा बन गई हैं, लेकिन सरकार किसानों बागवानों को भूल गई है। उनका कहना है कि सरकार व बागवानी विभाग फील्ड में आकर हालात देखे और इस स्थिति से निपटने के लिए उचित कदम उठाए। अगर कुछ दिन यही हालात रहे तो नई प्लांटेशन पूरी तरह से समाप्त हो जाएगी।
इमरजेंसी घोषित करे सरकार:हरीश


फल फूल एवं सब्जी उत्पादक संघ के अध्यक्ष हरीश चौहान का कहना है कि सरकार सूखे को देखते हुए इमरजेंसी घोषित करे। सेब के साथ-साथ मटर आलू, फूल गोभी व अन्य फसले बर्बाछ हो गई है। प्रदेश सरकार केंद्र से भी इस मामलें को टेकअप करे। इस तरह की स्थिति से निपटने के लिए आपदा प्रबंधन के तहत एक कोष्ठ स्थापित किया जाए। पानी के स्त्रोंतो को रिचार्ज करने के लिए योजना बने। सरकार के साथ साथ जनता को भी जलवायू परिवर्तन के प्रति जागरूक होना पड़ेगा।
एनवायरमेँट स्टडी करवाए सरकार:बिष्ट


सूखे के लिए क्या कारण है। इसका पता लगाने के लिए सरकार को एनवायरमेंटल स्टडी करवानी चाहिए। रेनवाटर हार्वेस्टिंग को सरकार को बढ़ावा दे। जंगलों की आग पर काबू पाया जाए। ऐसे कारण जिनकी वजह से ऐसी स्थिति पैदा हो रही है। उससे निपटने के लिए फिर उचित समाधान किए जाए। सूखे की स्थिति न सिर्फ किसान बागवान बल्कि पूरी जनता के लिए खतरा है।
बागीचों में कुछ करने की जरूरत नहीं: भारद्वाज


बागवानी विशेषज्ञ का डॉ एसपी भारद्वाज का कहना है कि सूखे की वजह से इस बार 10 से 15 प्रतिशत ड्रॉपिंग की समस्या शुरू हो गई है। ऐसे में किसान बागवान बागीचों में किसी भी तरह के गैर जरूरी स्प्रै के छिड़काव से बचे। अगर बागीचों में किसी तरह का रोग है तो विशेषज्ञ की सलाह लेकर ही उसका उपचार करे।

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