देश के हर कोने से 20 सेकेंड में ट्रैक होगी हिमाचल की गाड़ी

अब देश के किसी भी कोने से हिमाचल की गाड़ी को 20 सेंकेंड में ट्रैक किया जा सकेगा। गाड़ी किस स्पीड में चल रही है, उसका भी पता लगा पाएगा। इसके अलावा गाड़ी का पिछला एक साल का रिकार्ड भी परिवहन विभाग के पास मौजूद रहेगा। पिछले एक साल में गाड़ी कहां-कहां गई। यह सब जानकारी अब आसानी से मिल जाया करेगी। महिलाओं एवं लड़कियों के खिलाफ अपराध रोकने व सड़क सुरक्षा को मध्यनजर रखते हुए केंद्र सरकार के दिशा निर्देशों के बाद हिमाचल परिवहन विभाग ने व्हीकल लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस के लिए कमांड एंड कंट्रोल सेंटर स्थापित कर दिया है।


कमांड एंड कंट्रोल सेंटर को परिवहन निदेशालय में स्थापित किया गया है। बुधवार को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की ओर से इसका लोकार्पण किया गया है। व्हीकल लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस और आपातकालीन बटन निगरानी केन्द्र को इमरजेंसी रिस्पांस सपोर्ट सिस्टम 112 से जोड़ा गया है। इस प्रणाली में जब पैनिक बटन दबाया जाता है, तो सैटेलाइट के जरिए 112 पर एक सिग्नल प्राप्त होगा और संकट में फंसे व्यक्ति से संपर्क करने के साथ पुलिस को भी सूचित किया जाएगा। 9423 से अधिक वाहनों को इस प्रणाली से जोड़ा गया है और पिछले एक साल दौरान इन वाहनों की यात्रा का पूरा विवरण निगरानी केंद्र में उपलब्ध होगा।

सरकार न निजी बसों के अलावा टैक्सियों में एक जनवरी 2019 के बाद से लाल रंग के पेनिक बटन इंस्टॉल किए गए हैं। आपातकालीन स्थिति में यात्री इन बटन को दबा सकते हैं। आपातकालीन स्थिति में यह बटन दबाने के साथ कमांड एंड कंट्रोल केंद्र को तुरंत सूचना पहुंच जाएगी। एमरजेंसी रिस्पांस सिस्टम के साथ जुड़े होने के साथ पुलिस व स्थानीय प्रशासन को भी इसकी सूचना चलेगी। इसके बाद स्थानीय प्रशासन व पुलिस हरकत में आएगी।


परिवहन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि 6 प्रकार के अलर्ट कमांड कंट्रोल रूम को वाहन से प्राप्त होंगे। पहला पेनिक बटन प्रेस अगर कोई व्यक्ति पेनिक बटन को प्रैस करता हैं तो कमांड सेंटर को सूचना मिलेगा। दूसरा पेनिक बटन वायर कट है। यानि अगर कोई पेनिक बटन के साथ छेड़छाड़ करता है या उसकी तार काट देता हैं तो भी कमांड कंट्रोल सेंटर को इसकी जानकारी मिल जाएगी। इसके अलावा मैन पॉवर कट या फिर बैटरी रिमूव करने पर भी कमांड कंट्रोल को सूचना मिल जाएगी। इसके अलावा गाड़ी के पलटने या टकरा जाने पर भी सूचना मिलेगी। वहीं ओवर स्पीड करने पर भी जानकारी मिल जाएगी।


परिवहन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही ऑनलाइन चालान सिस्टम भी शुरू किया जाएगा। अगर कोई यातायात नियमों का पालन नहीं करता हैं या फिर ओवर स्पीडिंग करता हैं तो फिर ऑनलाइन ही उसका चालन भी हो जाएगा। इस फीचर को जल्द ही शुरू किया जाएगा। फिलहाल विभाग की ओर से इस पर काम किया जा रहा है। इस फीचर के शुरू होने से ओवर स्पीडिंग करने वालों पर अंकुश लगेगा। इससे सड़क हादसों में कमी आएगी, क्योकि प्रदेश में सड़क हादसों का मुख्य कारण ओवर स्पीडिंग ही है।

ऐसेे काम करता वीएलटीएस
वर्ष 2019 के बाद से पब्लिक व्हीकल में जीपीएस सिस्टम को अनिवार्य किया गया है। जीपीएस सिस्टम सेटेलाइट के साथ जुड़ा होता है। जीपीएस सिस्टम में लगी जीएसएम सिम जीपीआरएस के माध्यम से मोबाइल टावर से जुड़ी होती है। वहीं जीपीआरएस सिस्टम के माध्यम मोबाइल टावर कमांड कंट्रोल सेंटर के साथ जुड़ा होता है।

यह फायदे भी होंगे
-सड़क हादसों के कारणों की सही जानकारी मिलेगी
-यातायात नियमों के उलंघ्घन करने वालों पर होगी कार्रवा

सड़क हादसों के दौरान तुरंत मिल सकेगी फस्र्ट एड

आपराधिक गतिविधियों पर लग सकेगी रोक

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