हिमाचल में नहीं थम रहा हादसों का सिलसिला, सालाना होते है 3,000 हादसेें।

कॉर्नर न्यूज शिमला। हिमाचल प्रदेश में हर साल ऐसे न जाने कितने हादसे पेश आते है। जिनमें हजारों लोगों को अपनी जान गवानी पड़ती है। जबकि हजारों लोग घायल हो जाते हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक हिमाचल प्रदेश में हर साल के 3 हजार के आसपास सड़क हादसे पेश आते हैं। जिनमें 1 हजार के आसपास लोग मौत का शिकार हो जाते है, जबकि 5 हजार के करीब लोग घायल होते हैं। बावजूद इसके भी इन हादसों को रोकने के लिए कोई प्रयास नहीं किए जाते है।

सिरमौर जिले के ददाहू संगड़ाह मार्ग पर 5 जनवरी की सुबह एक स्कूल बस के खाई में गिर जाने से सात स्कूली बच्चों समेत बस चालक की मौत हो गई। जबकि दस बच्चें और एक बुजुर्ग जिसने रास्तें में लिफ्ट ली थी, घालय हुए हैं। खबरों के मुताबिक यह बच्चे 3 से 14 साल के थे। बस तकनीकी खराबी के कारण अनियंत्रित होकर खाई में गिरी। जानकारी के मुताबिक यह बस अक्सर खराब रहती थी। बावजूद उसके भी स्कूल प्रशासन की ओर से बस को चलाया जा रहा था। जो स्कूल प्रबंधन की लापरवाही को दर्शाता हैं। इससे पहले पिछले वर्ष कांगड़ा के नुरपुर में भी एक ऐसा ही हादसा पेश आया था। जिसमें 26 बच्चों समेत बस चालक और दो शिक्षकों की मौत हो गई थी। हादसा का कारण बस का ओवरलोडिड होना बताया गया था।

अगर कोई हादसा पेश आता है तो सरकार की ओर से जांच के आदेश दिए जाते है। हादसों को रोकने के लिए कमेटियां गठित की जाती हैं। लोग भी मांग करते हैं कि हादसों को रोकने के लिए विशेष योजना तैयार की जाए। ओवरलोडिंग करने वालों, नशे में गाड़ी चलाने वाले चालकों के खिलाफ कार्रवाई की जाएं। लेकिन जैसे समय बीतता जाता है हम सब कुछ भूल जाते है। सरकार की जांच भी बंद हो जाती है। जो लोग ओवरलोडिंग करने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग करते हैं, उन्हीं में से कुछ ओवरलोडिड बसों में सवार पाए जाते हैं।

गौर करने वाली बात यह है कि हम ही हादसों को रोकने के लिए गंभीर नहीं है। जब कोई हादसा होता है उस समय तो हमारी भावनाएं जाग उठती है, लेकिन जैसे जैसे समय बीतता जाता है। हमारी भावनाएं भी शांत होती जाती है और हम लापरवाह हो जाते हैं। हम खुद ओवरलोडिड बसों में सफर करने लगते हैं। यह जानते हुए भी जिन वाहनों से हमारे बच्चे स्कूल जा रहे हैं उनमें ओवरलोडिंग हो रही हैं। हमें कोई फर्क नहीं पड़ता हैं। हम चुपचाप सब देखते रहते हैं। यह मालूम होते हुए भी यह जानलेवा हो सकता है। वहीं सरकार और प्रशासन भी इस पर से ध्यान हटा देते हैं।

ऐसे में अगर इन हादसों पर अंकुश लगाना है तो हमें इस बारे में गंभीर होना पड़ेगा। सरकार को चाहिए कि लापरवाही से वाहन चलाने वालों और ओवरलोडिंग करने वाले के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए। इसके अलावा सड़कों के किनारें पैराफिट लगाएं जाए और खतरनाक जगहों पर चेतावनी दर्शाने वाले बोर्ड लगाए जाए। वहीं लोगों को भी इस बारें में जागरूक होना पड़ेगा। जिन बसों में बच्चे स्कूल जाते हैं। उनमें उनकी हालत कैसी है और एक बस में कितने बच्चे सफर कर रहे हैं। इन सब का ख्याल रखना जरूरी हैं। यदि कोई वाहन चालक नियमों का उल्लंघन करता है तो इस बात की सूचना संबंधित विभाग को दी जाए। इसके अलावा चालाकों को भी वाहन चलाते समय एहतियात बरतने की जरूरत है।

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