विश्व नर्स दिवस 2022: कोरोना वायरस की तीनों लहरों में नर्सो ने एक किया दिन रात

हिमाचल प्रदेश में कोविड संक्रमण अब लगभग थम चुका है। प्रदेश में कोविड के केस गिने चुने रह गए है। कोविड की तीन लहर देखने के बाद जीवन को पटरी पर लाने में समाज के कई वर्गों का विशेष योगदान रहा है। खासकर हेल्थ केयर वर्कर और फ्रंट लाइन की भूमिका काफी अहम रही हैं। हेल्थ केयर वर्करों में प्रदेश के विभिन्न अस्पतालों में काम करने वाले नर्सों ने काफी ज्यादा योगदान दिया है। 13 मई को विश्व नर्स दिवस मनाया जाता है। विश्व नर्स दिवस 2022 पर दिव्य हिमाचल की टीम ने प्रदेश के अस्पतालों में काम करने वाले नर्सों से खास बातचीत की है। दिव्य हिमाचल के साथ बातचीत के दौरान नर्सों ने बताया कि किस तरह से उन्होंने कोविड की चुनौती का सामना किया।
कोविड के दौरान अस्पतालों में कोविड वार्ड ही नर्सों के लिए घर बन गया था। कोविड मरीज़ो के परिजनों के लिए कोविड वार्ड में प्रवेश वर्जित था। ऐसे में नर्सो ने ही मरीज़ो के परिवारजनों की भूमिका निभाई। मरीज़ो के स्वास्थ की देखभाल के साथ साथ मरीज़ो के मानसिक स्थिति का ध्यान रखने के लिए कोविड वार्ड में मरीज़ो के साथ जन्मदिन भी बनाया, तो वहीं मरीज़ो के साथ त्योहार भी सेलिब्रेट किए गए। घर के सदस्य कोरोना पॉजीटिव आए इसके लिए कई कई दिनों तक खुद के परिवार से भी दूर रहना पड़ा। कई नर्सें खुद भी कोरोना का शिकार नहीं हुई। इसके बावजूद भी उन्होंने हार नहीं मानी और कोरोना को मात देकर फिर से मोर्चा संभाल लिया।
खुद की मरीज़ो की शेविंग

मेडिकल कॉलेज की मैटर्न निर्मल पंवर बताती है कि टांडा मेडिकल कॉलेज में तिब्बती मूल का व्यक्ति सबसे पहले कोविड पॉजीटिव आया था। इसके बाद अस्पताल में कोविड मरीज़ो की कतार लगनी शुरू हो गई। शुरूआत में कोविड स्थिति काफी चुनौती पूर्ण थी, क्योकि कोरोना की दहशत काफी ज्यादा थी। बाद में स्थिति सामान्य हो गई हैं, लेकिन वार्ड हमारा काम काफी ज्यादा बढ़ गया था। हमने दिन रात कोविड वार्ड में काम किया कई बार लगातार 28 घंटे तक भी डयूटी की। मरीज़ो का हौंसला बढ़ाने के लिए कोविड वार्ड में कई तरह की गतिविधियां की। मरीज़ो के साथ जन्मदिन भी मनाए। शुरूआत में क्वारंटीन 17 दिनों का होता था। ऐसे में मैने कई मरीज़ो की शैविंग भी की। यहां तक कि मरीज़ो को सारी चीज़ो ध्यान रखा। परिवार के सदस्य को कोरोना संक्रमण न हो इसके लिए बाहर ही क्वारंटीन भी होना पड़ा।
20 बार करवाया खुद का आरटीपीसीआर टेस्ट

मेडिकल कॉलेज की स्टाफ नर्स गरिमा शर्मा ने बताया कि उनकी डयूटी कोविड वैक्सीनेशन अभियान में लगाई थी। शुरूआत में लोगों में कोविड वैक्सीन के प्रति भी डर था। डर के कारण कोई वैक्सीन नहीं लगा रहा था। यहां तक हेल्थ् केयर वर्कर भी वैक्सीन लगाने से डर रहे थे। ऐसे में अन्य लोगों को मोटिवेट करने के लिए मैने पहले ख्रुद वैक्सीन लगाई। मुझे देखकर अन्य लोगों ने भी वैक्सीन लगाना शुरू किया। गरिमा ने बताया कि अब तक वह कुल 32 हजार लोगों को कोविड की वैक्सीन लगा चुकी है। गरिमा ने बताया कि उनकी माता हार्ट की पेशेंट है। ऐसे में उन्हें कोविड संक्रमण न फैले इसके लिए घर जाने से पहले हर बार कोविड टेस्ट करवाया। करीब 20 बार उन्होंने खुद का आरटीपीसीआर टेस्ट करवाया।
कोरोना का शिकार बनी लेकिन नहीं मानी हार

आईजीएमसी अस्पताल में सेवाएं देने वाली स्टाफ नर्स रोहिनी ने बताया कि वह खुद भी कोरोना वायरस का शिकार हो गई थी, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और कोरोना को मात देकर फिर से डयूटी ज्वाइन की। एक बार तो परिवार के अन्य लोग भी कोविड का शिकार हो गए थे। ऐसी स्थिति में हौंसला बनाए रखना चुनौती पूर्ण था। लेकिन हमने हार नहीं मानी।
सात दिन बाद जा पाते थें घर

आईजीएमसी में तैनात स्टाफ नर्स नीलम ने बताया कोरोना के दौरान आईजीएमसी के पूरे स्टाफ ने काफी अच्छा काम किया। एक हफ्ते के लिए हमारी डयूटी लगती थी। इस दौरान उन्हें आईजीएमसी के समीन रेस्ट हाऊस मे ही क्वारंटीन होना पड़ता था। एक हफ्ते के बाद घर जा पाते थे। घर में खुद को आइसोलेट करना पड़ था। अस्पताल में मरीज़ो को ऑक्सीजन की कमी न हो इसका विशेष ध्यान रखना पड़ता था। मरीज़ो की शारीरिक रिकवरी के साथ् साथ उनके मानसिक स्थिति में सुधार हो इसके लिए उन्हें मोटिवेट करना पड़ता था। मरीज के परिवार के सदस्य बनकर उनसे बर्ताव किया ताकि वह जल्दी रिकवर हो।

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