11 हजार किसान बने सर्टिफाइड नेचुरल फार्मर, यह होगा फायदा

हिमाचल प्रदेश में 11 हजार किसान सर्टिफाइड नैचुरल फार्मर बन गए है। प्रदेशभर में प्राकृतिक खेती कर रहे किसानों में से 19 हजार ने नैचुरल फार्मिंग की सर्टिफिकेशन के लिए पंजीकरण किया है। इनमें से 11 हजार किसानों को सर्टिफिकेट प्राप्त हो चुका है। ऐसे में अब यह किसान पूरे देश में कहीं भी अपने उत्पाद बेच पाएंंगे।


प्रदेश में चल रही प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना की प्रगति को जानने के लिए मंगलवार को राज्य सचिवालय में कृषि सचिव राकेश कंवर ने योजना की समीक्षा बैठक ली। कृषि सचिव ने योजना से जुड़े अधिकारियों को तय लक्ष्यों को समय रहते पूरा करने के निर्देश दिए। बैठक के दौरान परियोजना के राज्य परियोजना निदेशक नरेश ठाकुर ने बताया कि योजना के तहत वर्ष 2022-23 के लिए तय किए गए लक्ष्यों को 83 फीसदी से अधिक पूरा कर लिया गया है और आगामी तीन महीनों में शेष लक्ष्यों को भी समय रहते पूरा कर लिया जाएगा।

इसके अलावा उन्होंने बताया कि प्राकृतिक खेती कर रहे किसानों के प्रमाणीकरण की प्रक्रिया चल रही है और अभी तक प्रदेश के 19 हजार किसानों के पंजीकरण का काम पूरा कर लिया गया है। बैठक के दौरान सभी जिलों के परियोजना निदेशकों ने अपने-अपने जिले में चल रही प्राकृतिक खेती की गतिविधियों के बारे में जानकारी दी और कार्ययोजना के बारे में बताया।
बैठक के दौरान केंद्र सरकार की ओर से लाए गए राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन को लेकर तैयारियों को लेकर भी चर्चा की गई।

इसके अलावा बैठक में अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष 2023 को मनाए जाने को लेकर की जा रही तैयारियों और आगामी कार्यनीति के बारे में भी जिला परियोजना निदेशकों को जानकारी दी गई। बैठक के दौरान कृषि निदेशक डॉ बीआर तक्खी, अतिरिक्त कृषि निदेशक डॉ दिग विजय शर्मा, संयुक्त कृषि निदेशक डॉ रघबीर सिंह और प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना की कार्यान्वयन इकाई के अधिकारी मौजूद रहे।

यह है सर्टिफिकेशन के फायदे

भारत में प्राकृतिक खेती के लिए प्रमाणीकरण की आवश्यकता को पूरा करने के लिए हिमाचल सरकार ने सितारा नाम से एक वेब पोर्टल तैयार किया है। यहां पर किसान प्राकृतिक खेती के उत्पादों की सर्टिफिकेशन करवा सकते हैं। इसका फायदा यह होता है कि आपको अपने उत्पाद को बेचने में परेशानी नहीं होती है. सर्टिफिकेशन के बाद आप अपने उत्पाद कोमार्केट में बेच सकते हैं। प्राकृतिक खेती का सर्टिफिकेट जमीन से संबंधित जानकारी के आधार पर दिया जाता है।

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