हिमाचल प्रदेश के दुधारू पशुओं में लंपी स्किन डिजीज का सकंम्रण जारी हैं। इस वायरस के कारण प्रदेश में सैंकड़ो पशुओं की जान जा चुकी हैं। वहीं हजारों पशु संक्रमित हो चुके हैं। वहीं विधानसभा सत्र के दौरान पशुपालन मंत्री ने ऐलान किया था कि लंपी वायरस के कारण अगर गाय की मौत हो जाती हैं तो पशुपालकों को 30 हजार रुपए का मुआवजा मिलेगा। इस मुआवजे के लिए पशुपालकों को संबंधित क्षेत्र के वेटरनरी डॉक्टर पोस्र्टमार्ट की रिपोर्ट आवेदन के साथ अटैच करनी पड़ेगी।
पशुपालन विभाग के निदेशक डॉ प्रदीप शर्मा ने बताया कि पशुपालकों को मुआवजा राशि राज्य आपदा राहत कोष के तहत प्रदान की जाएगी। मुआवजे के लिए पशुपालन की विभाग डॉक्टर की ओर से पोस्टमार्टम रिपोर्ट तैयार की जाएगी। यह रिपोर्ट आवेदन के साथ अटैच करनी होगी। इसके अलावा पंचायत की ओर से लिखित में आवेदन संबंधित एसडीएम को दिया जाएगा। वहीं एसडीएम के ओर से यह आवेदन राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को भेज दिया जाएगा। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की ओर से आपदा राहत कोष के तहत मुआवजे की राशि की जारी की जाएगी।
फिलहाल प्रदेश में लंपी स्किन डिजेज का संक्रमण जारी हैं। लंपी वायरस के संक्रमण के कारण प्रदेश में कुल 3022 पशु संक्रमित हो चुके हैं। वहीं 199 पशुओं की इस वायरस के कारण मौत हो चुकी हैं। लाहौल स्पीति, चंबा और किन्नौर को छोड़कर सभी जिलो में पशुओं की मौत के मामलें सामने आए हैं। लंपी वायरस का ज्यादा कहर सिरमौर, शिमला, सोलन, ऊना और कांगड़ा जिला में हैं। बाकी जिलो में इसके 10 से कम ही मामलें आए हैं। सिरमौर जिला में इस वायरस के कारण 45 पशुओं की अब तक मौत हो चुकी हैं। शिमला में 18 पशुओं की मौत हो चुकी हैं। सोलन में 12 और ऊना जिला में 8 पशुअओं की मौत हुई हई हैं। वहीं एक मौत बिलासपुर जिला में भी हुई हैं।
लंपी वायरस की रोकथाम के लिए प्रदेश में अब तक 25,734 पशुओं को वैक्सीन की डोज लगा दी गइ हैं। प्रदश्ेा में कुल 1 लाख 59 हजार वैक्सीन की डोज की जरूरत हैं। विभाग के पास वर्तमान में 16,966 वैक्सीन की डोज मौजूद हैं। 17,000 वैक्सीन की डोज खरीदने की प्रक्रिया चल रही हैं। इसके अलावा प्रदश्ेा में विभाग के पास कुल 11 लाख 18 हजार वैक्सीन के भंडारण की क्षमता मौजूद हैं।
यह हैं लंपी वायरस के लक्षण
पशुओं में फैल रहा लंपी चमड़ी रोग एक विषाणु द्वारा जनित रोग हैं। यह अत्यंत संक्रामक रोग हैं। इसके मुख्य लक्षण पशुओं को तेज बुखार, त्वचा में सूजन व मोटी मोटी गांठे, आहार खाने में परेशानी, कमजोरी, अंधापान एवं दूध उत्पादन में कमी हैं। इसके अतिरिक्त प्रजन्न समस्याएं, गर्भपात, क्षतिग्रस्त खाल, वनज में कमी और कभी कभी मृत्यु भी हो सकती हैं। यह रोग ज्यादा मक्खियों-मछरों या चिचड़/चिडऩ जैसे कीटों के काटने से सांझा पानी पीने से, सांझे चरगाहों में चरने से एवं ग्रसित पशुओं के सीधे संपर्क से फैलता हैं।
लंपी वायरस का कहां कितना संक्रमण
जिला संक्रमित पशु संक्रमण से मौत
सिरमौर 927 47
शिमला 337 28
सोलन 342 18
चंबा 00 00
हमीरपुर 18 00
बिलासपुर 82 02
किन्नौर 00 00
ऊना 1080 24
कुल्लू 00 00
मंडी 10 00
कांगड़ा 226 00
लाहौल स्पीति 00 00