कार्टन पर जीएसटी 18 प्रतिशत, बागवान उतरे सड़कों पर

सेब कार्टन के दामों में बढ़ोत्तरी के खिलाफ प्रदेश के बागवान सड़कों पर उतर आए हैं। कार्टन पर जीएसटी को 12 प्रतिशत से 18 प्रतिशत करने पर बागवान नाराज है। बागवान मांग कर हैं कि कार्टन पर जीएसटी को 18 प्रतिशत से घटाकर 2 प्रतिशत किया जाए। सेब बहुल क्षेत्र ठियोग और रोहड़ू में बड़ी संख्या में बागवान कार्टन की आसमान छू रही कीमतों का विरोध जाहिर किया। ठियोग में पीडब्यूडी रैस्ट हाउस से एसडीएम दफ्तर तक बागवान रोष मार्च निकाल रहे हैं।


रोहड़ू में भी काफी संख्या में बागवान सड़कों पर उतर कर रोष जाहिर कर रहे हैं। पैकेजिंग मैटेरियल की बढ़ती कीमतों ने 5000 करोड़ रुपए से अधिक के सेब उद्योग पर संकट खड़ा कर दिया है। कार्टन के साथ साथ खाद, बीज और दवाइयां भी महंगी हुई है। सरकार द्वारा विभिन्न कृषि इनपुट पर मिलने वाली सब्सिडी लगभग खत्म कर दी गई है। इससे बागवानी निरंतर घाटे का सौदा साबित हो रही है।

प्रति पेटी 6 से 7 ट्रे लगती है, यानी इस बार 48 से 56 रुपए प्रति पेटी और 80 रुपए की पेटी लग रही है। कार्टन, तुड़ान, ग्रेडिंग, पैकिंग, भाड़ा, सब मिलाकर 20 से 25 किलो की पेटी को मंडी तक पहुंचाने में 300 से 400 रुपए तक की लागत आ रही है। उन्होंने बताया कि आजादी के बाद कार्टन और ट्रे के दाम में कभी भी इतना इजाफा एक साथ नहीं हुआ।

राकेश सिंघा ने बताया कि पिछले साल सेब सीजन के दौरान डीजल के दाम 90 रुपए थे। इस साल 83 रुपए डीजल मूल्य हो गया है, लेकिन प्रशासन ने भाड़ा दर कम नहीं की है। उन्होंने कार्टन पर त्रस्ञ्ज की दर 12 से बढ़ाकर 18 करने के मोदी सरकार के निर्णय का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि सरकार के रवैये को बदलने के लिए सड़कों पर उतरना जरूरी हो गया है।

राकेश सिंघा ने सरकारी उपक्रमों पर भी बागवानों से पैसे इकट्ठे करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि एपीएमसी शिमला-किन्नौर शोघी में बैरियर लगाकर बागवानों से अवैध तौर पर लूट-खसोट कर रहा है। उन्होंने सभी बागवानों से अपील की है कि इस लूट के खिलाफ आंदोलन में बड़ी संख्या में भागीदारी सुनिश्चित बनाएं।

बागवानों का कहना है कि सेब की पेटी आज से 20 साल पहले भी 1000 से 2000 रुपए के बीच बिकती थी, तब एक पेटी तैयार करने पर 30 से 35 रुपए की लागत आती थी। आज भी सेब के दाम 1000 से 2000 के बीच ही मिलते है, जबकि लागत 300 से 400 रुपए प्रति पेटी हो गई है। उन्होंने बताया कि कल के धरने के बाद बागवान लामबद्ध होकर इस आंदोलन को और उग्र बनाने की रणनीति तैयार करेंगे और सरकार पर कार्टन के दाम कम करने का दबाव बनाएंगे।

इतने बढ़े कार्टन, सेपरेटर व ट्रे के दाम
कार्टन की कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है। 100 ट्रे का जो बंडल बीते साल 450 से 550 रुपए मिलता था। इस बार उसके लिए 700 से 800 रुपए प्रति बंडल देने पड़ रहे हैं, यानी अधिकतम 250 रुपए प्रति बंडल कीमतें बढ़ी हैं। इसी तरह बीते साल जो पेटी 53 से 68 रुपए मिल रही थी, इस बार उसके लिए 60 से 80 रुपए देने पड़ रहे हैं। पेटी के दाम भी अधिकतम 12 रुपए बढ़े हैं।

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