5 अगस्त को 1990 के बाद हिमाचल में बागवान आंदोलन, यह है वजह

हिमाचल में चल रहे बागवानों का आंदोलन सेब कार्टन पर जीएसटी में 6 फीसदी की छूट व कीटनाशकों की सब्सिडी की बहाली के बाद भी जारी है। बागवानी संगठनों के संयुक्त किसान मोर्चा ने ऐलान किया है कि वह 5 अगस्त को सचिवालय का घेराव करेगा। बागवानों की सिर्फ 5 मांगे नहीं, सरकार पूरी 20 मांगे माने तब जाकर कहीं बागवानों का आंदालन थमेगा।

बागवानों ने यह भी साफ किया है कि अगर सरकार उनकी मांगों को नहीं मानती है तो विधानसभा चुनावों में इसके परिणाम भुगतने पड़ेंगे। मंगलवार को शिमला में हुई पत्रकार वार्ता के दौरान संयुक्त मंच ने संयोजक हरीश चौहान ने यह ऐलान किया है। संयुक्त किसान मोर्चा ने साफ कर दिया है कि जो पार्टी उनकी मांगों को मानेगी आने वाले विधानसभा चुनावों में बागवान उसी का समर्थन करेंगे।

कांग्रेस ने ओपीएस बहाली की घोषणा की हैं, लेकिन बागवान उनसे मंच ने उनसे पूछा है कि बागवानों की समस्याओं पर उनका क्या सटैंड है। हरीश चौहान ने कहा कि 28 जुलाई को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में हुई बैठक में निर्णय लिया गया था कि बागवानों की समस्याओं के समाधान के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी की गठित की जाएगी। इस कमेटी बागवानों को शामिल करने की बात भी कही गई थी, लेकिन हाल में सरकार ने जो फैसले लिए हैं, उसके बारे बागवानों से कोई चर्चा नहीं की गई है।

सरकार ने जीएसटी छूट में 6 प्रतिशत छूट देने के लिए जो व्यवस्था की है, वह व्यवस्था बहुत ज्यादा जटिल है। 400 रुपए माफ करवाने के चक्कर में बागवानों को 4 हजार का खर्च उठाना पड़ेगा। सरकार की ओर से की गई घोषणाएं अभी तक जमीनीस्तर पर नहीं दिख रही है। हरीश चौहान ने कहा कि अभी तक कार्टन पर जीएसटी में छूट का फायदा भी बागवानों को नहीं मिल रहा है। सरकार ने छूट की घोषणा जरूर की है लेकिन इसे लेकर आदेश जारी नहीं किए गए।

यही वजह है कि जीएसटी के पास आज भी उपदान पर कार्टन नहीं मिल रहा है। हरीश चौहान ने कहा कि जब किसान अपने खेत खलियान में बैठा था। तब सरकार ने उन्हें हल्के में लिया। अब बागवानों को संगठित होते देख आनन-फानन में सरकार ने कुछ मांगे मान रही है लेकिन इन्हें धरातल पर नहीं उतारा जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार कह रही है कि एमआईएस की बकाया पेमेंट के लिए 8 करोड़ जारी कर दिए है लेकिन एक भी बागवान को पेमेंट नहीं मिल पाई


1990 के बाद एतिहासिक आंदोलन
हिमाचल के सेब बागवान पांच अगस्त को शिमला में ऐतिहासिक मार्च करेंगे। संयुक्त किसान मंच के संयोजक हरीश चौहान ने मंगलवार को शिमला में पत्रकार वार्ता में कहा कि इससे पहले बागवानों ने 1987 और 1990 में ऐसे बड़े आंदोलन लड़े हैं। इस बार फिर से ऐसी ही निर्णायक लड़ाई पांच अगस्त को लड़ी जाएगी। इस दिन उनकी 20 सूत्रीय मांगे नहीं मानी गई तो दिल्ली की तर्ज पर हिमाचल में भी आंदोलन खड़ा किया जाएगा।

3 बार पीएमओ को दिया ज्ञापन
हरीश चौहान ने बताया कि 44 देशों से आयात होने वाले सेब पर 100 फीसदी आयात शुल्क लगाने के लिए कई बार प्रदेश व भारत सरकार के समक्ष मामला उठाया जा चुका है, लेकिन आयात शुल्क नहीं घट रहा है। ईरान व तुर्की का सेब हिमाचली सेब के लिए संकट बना हुआ है। उन्होंने बताया कि वह 3 बार स्वयं प्रधानमंत्री कार्यालय को मेमोरेडम देे चुके हैं, हर बार यही जवाब आता है कि आगामी कार्रवाई की जा रही है।

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