बढ़ेगा ड्राई स्पेल, नए साल पर भी बारिश-बर्फबारी नहीं

हिमाचल प्रदेश में इस बार ड्राई स्पेल लंबा चल सकता है। नए साल का स्वागत भी इस बार बारिश-बर्फबारी से नहीं होगा। मौसम विभाग का पूर्वानुमान है कि हिमाचल प्रदेश में इस नए साल का आगाज बारिश बर्फबारी ने नहीं होगा। प्रदेश में 31 दिसंबर से 2 जनवरी तक मौसम के साफ रहने की संभावनाएं है। हालांकि 29 और 30 दिसंबर को प्रदेश के ऊपरी क्षेत्रों में हल्की बारिश व बर्फबारी की संभावनाएं है। जबिक निचले क्षेत्रों में मौसम साफ रहेगा।


निचले क्षेत्रों में सुबह के समय पडऩे वाला कोहरा जारी है। कोहरे के कारण प्रदेश में शीतलहर चल रही है। जिसके कारण लोगों को सुबह और शाम के समय कड़ाके की ठंड से दो चार होना पड़ रहा हैं। दोपहर में हालांकि धूप खिलने से मौसम सुहावना बना रहता है। प्रदेश के लाहौल स्पीति जिला में न्यूनतम तापमान सबसे कम दर्ज किया गया है। यहां पर कुकुमसेरी में कुकुमसेरी का माइनस 5 डिग्री, कल्पा का माइन 3.6 डिग्री, मनाली का माइनस 0.6 डिग्री, नारकंडा का माइनस 0.2 डिग्री, शिमला का 4.5 डिग्री, धर्मशाला का 6.2 डिग्री, ऊना का 3 डिग्री, हमीरपुर का 2.2 डिग्री, मंडी का 0.3 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है।


सेब बहुल क्षेत्रों में बागवानों की ङ्क्षचताएं भी बढ़ गई है। सूखे कारण कारण अगले साल के सेब सीजन पर संकट मंडरा रहा है। हिमाचल प्रदेश प्रोगेसिव ग्रोवर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष लोकेंद्र सिंह बिष्ठ का कहना है कि सेब व अन्य बागवानी फसलों के लिए चिलिंग ऑवर का होना बहुत जरूरी है। चिलिंग ऑवर में पौधा सुप्तावस्था में चला जाता है। इसके लिए वातारण का औसतन तापमान 7 डिग्री से कम होना चाहिए। जबिक जमीन का तामपान माइनस में होना जरूरी हैं, लेकिन आलम यह है कि प्रदेश में न तो वातावरण का औसतन तापमान और न ही जमीन का औसतन तापमान 7 डिग्री से कम है।

हालांकि रात के समय तापमान में गिरावट जरूर आती हैं, लेकिन दिन में तेज धूप खिलने से रात का सारा असर समाप्त हो जाता है। पौधे के सुप्तावस्था में न जाने के कारण पौधों के बीमों को आराम नहीं मिल पा रहा है। बीमो को आराम न मिलने के प्रभाव आने वाले साल की फ्लावरिंग पर पड़ सकता है। फ्लावरिंग प्रभावित हुई तो फिर फसल भी प्रभावित होगी।प्रदेश के बागवानों को ड्राई स्पले के कारण बागवानी फसलों के लिए जरूरी चिलिंग ऑवर पूरा न होने का डर सता रहा है। रॉयल किस्म के सेब के लिए 1500 से 1600 चिलिंग ऑवर की आवश्यकता होती है। स्पर किस्म के सेब के लिए 1000 से 1200 चिलिंग ऑवर, गाला किस्म की फसलों के लिए 600 से 800 चिलिंग ऑवर, चैरी की फसल के लिए 1000 और प्लम की किस्म के लिए 500 से 600 चिलिंग ऑवर की आवश्कता पड़ती है।

कृषि विभाग ने मांगी रिपोर्ट
ड्राई स्पेल के कारण न सिर्फ बागवानी फसलों पर संकट उत्पन्न हो गया हैं, जबिक मैदानी इलाकों में उगने वाली पारंपरिक व नकदी फसलों पर भी असर पड़ रहा है। मैदानी इलाकों में सुबह के समय पडऩे वाले कोहरे से जहां फसले जलने की शिकायते आ रही हैं, तो वहीं बारिश न होने के कारण गेंहू, टमाटर, फूलगोभी की पनीरी और मटर की फसले सूख रही है। वहीं कृषि विभाग ने प्रदेश के सभी जिलो से सूखे के असर की रिपोर्ट मांगी है।

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