तापमान बढऩे से शुरू हुई अर्ली फ्लावरिंग, बीमारियां का खतरा भी बढ़ा

apple Early flowering

हिमाचल में बागवानी करना अब घाटे का सौदा साबित होने लगा है। बढ़ती इनपुट कॉस्ट साथ बदलता मौसम भी बागवानी के लिए खतरा बन रहा है। सर्दियों के मौसम में जहां अच्छी बर्फबारी किसानों-बागवानों के लिए राहत बनकर आती थी, तो वहीं इस बार सर्दियों में ही गर्मियों जैसा माहौल किसानों-बागवानों की चिंताएं बढ़ रहा है। प्रदेश की लोअर और मिडल बेल्ट अभी तक बर्फबारी का इंतजार कर रही है। हालांकि ऊपरी इलाकों में इस बार थोड़ी बहुत बर्फबारी देखने को मिली है लेकिन लोअर और मिडल बेल्ट में बर्फबारी बिल्कुल न के बराबर हुई है।

बारिश और बर्फबारी न होने से सेब व अन्य फलों के लिए अनिवार्य चिलिंग आवर्स पूरे नहीं हो पा रहे हैं। बागवानी विशेषज्ञ का मानना है कि चिलिंग ऑवर्स पूरे होने के लिए तामपमान 7 डिग्री से कम होना अनिवार्य है। वहीं इस बार के तापमान ने वर्षो पुराने रिकार्ड तोड़ डाले है। फरवरी के महीने में न्यूनतम तापमान शिमला व अन्य क्षेत्रों में शून्य डिग्री के आसपास रहा करता था, तो वहीं इस बार न्यूनतम तामपान 14 से 15 डिग्री के आसपास चल रहा है। वहीं अधिकतम तापमान 20 से 23 डिग्री तक चल रहा है। बढ़ते तापमान के कारण स्टोन फ्रूट जिनमें, चैरी, खुमानी और प्लम जैसी फसलें शामिल हैं। इन फसलों में फूल खिलने की प्रक्रिया 20 से 25 दिन पहले ही शुरू हो गई है। चैरी को छोडक़र बाकी सभी स्टोन फ्रूट फसलों के लिए चिलिंग ऑवर 400 से 500 के बीच अनिवार्य होने जरूरी है। स्टोन फ्रूट के लिए चिलिंग ऑवर पूरे हो चुके हैं। वहीं तापमान भी सामान्य से ज्यादा चल रहा है। यही कारण हैं कि स्टोन फ्रूटस के पौधों में फूल खिलने की प्रक्रिया समय से पहले ही शुरू हो गई है। उनका कहना है कि स्टोन फ्रूट की समय से पहले फ्लावरिंग होने से कोई ज्यादा फर्क नहीं पडऩे वाला है। बशर्ते फुल ब्लूम के दौरान मौसम किसी तरह की बाधा उत्पन्न न करे।

स्टोन फ्रूट के पौधेां में फूल खिलने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी हैं। इसका नुकसान यह होगा कि आने वाले दिनों में जब बारिश होगी, उस दौरान स्टोन फ्रूट के पौधें फुल ब्लूम पर होंगे। इस दौरान अगर बारिश या बर्फबारी होती हैं तो स्टोन फू्रूट की 500 करोड़ रुपए की अर्थव्यवस्था को चपत लग सकती है। वहीं उनका कहना है कि जिस प्रकार स्टोन फ्रूट की अर्ली फ्लावरिंग शुरू हो हुई हैं। उसी तरह सेब की फसल में भी समय से पहले फूल खिलने के आसार है।

कार्टन ही नहीं कृषि उपकरण पर भी जीएसटी घटाएं

हाल ही हिमाचल प्रदेश के उद्योग मंत्री हर्षवर्धन सिंह चौहान ने जीएसटी काऊंसलि में सेब कार्टन पर जीएसटी को 18 प्रतिशत से 5 प्रतिशत करने की मांग उठाई है। हिमाचल प्रदेश फल फूल एवं सब्जी उत्पादक संघ के प्रदेशाध्यक्ष व संयुक्त किसान मंच के संयोजक हरीश चौहान का कहना है कि वैसे तो सेब कार्टन पर जीएसटी शून्य होना चाहिए, लेकिन अगर जीएसटी 18 प्रतिशत से 5 प्रतिशत भी किया जाता हैं तो इससे बागवानोंको 10 से 12 रुपए का फायदा होगा। उन्होंने कहा कि न सिर्फ सेब कार्टन पर जीएसटी घटाया जाए, बल्कि कृषि उपकरणों पर भी जीएसटी को घटाया जाना चाहिए। वर्तमान में कृषि उपकरणों पर 18 से 28 प्रतिशत तक जीएसटी वसूल किया जा रहा है।

सब्सिडी बहाल करे सरकार

हरीश चौहान का कहना है कि सरकार जिस तरह से कर्मचारियों के मसलों को हल कर रही हैं, उसी तरह से किसानों बागवानो के मसलों को भी हल किया जाए। उनका कहना है कि बागवानों योजनाओं पर बागवानों को मिलने वाले उपदान और एचपीएमसी व हिमफैड के तहत मंडी मध्यस्थता योजना के तहत खरीदे गए सेब की अदायगी भी जल्द से जल्द की जाए। सरकार कर्मचारियों के एरियर को चुकाने के लिए हजार करोड़ रुपए का लोन लेने वाली है। उसमें से बागवानों के 150 करोड़ रुपए की देय राशि का भुगतान भी किया जाए।

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