सेब कार्टन के दामों में बढ़ोत्तरी के बीच प्राकृतिक विधि से खेती कर सेब उगा रहे बागवानों के लिए राहत की बात है। प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के तहत इन बागवानों को अलग से कार्टन की व्यवस्था की जा रही है। इसके लिए प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना की राज्य इकाई द्वारा बागवानों से कार्टन की डिमांग मांगी गई है। राज्य इकाई के पास बागवानों से डिमांड आना शुरू हो गई है। बागवानों की डिमांड को देखते हुए प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना की राज्य इकाई द्वारा बागवानों के लिए अलग से कार्टन उपलब्ध करवाया जाएगा।
बताया जा रहा है कि प्राकृतिक खेती कर रहे बागवानों को मार्केट से कम दाम पर कार्टन उपलब्ध करवाया जाएगा। हालांकि अभी यह तय नहीं हो पाया है कि प्राकृतिक खेती करने वाले बागवानों को कहां पर कार्टन मिलेगा। कार्टन की पूरी डिमांड आने के बाद ही बागवानों को कार्टन उपलब्ध करवाने के लिए मैकेनिज्म तैयार करवाया जाएगा। प्रदेश में प्राकृतिक खेती कर रहे किसानों के लिए मंडियों में अलग से यार्ड की व्यवस्था भी की जाएगी।
इसके लिए भी प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना की राज्य इकाई की ओर से तैयारियां शुरू की जा रही है। फिलहाल प्रदेश की 2 मंडियों में पायलेट आधार पर यह व्यवस्था की जाएगी। इनमें सोलन और शिमला की दो मंडियां है। इनमें प्राकृतिक खेती के यार्ड शुरू करने के लिए टैंडर कर दिए गए हैं, जल्द ही मंडियों में प्राकृतिक खेती के यार्ड बन जाएंगे, जहां पर सिर्फ प्राकृतिक खेती विधि से तैयार किए गए उत्पाद ही बिकेंगे।
प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने पर सरकार का है फोकस
गौरतलब है कि प्रदेश में किसानों की आय बढ़ाने के लिए और टिकाऊ खेती के लिए प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसे और रफ्तार देने के लिए प्राकृतिक उत्पादों के मार्केटिंग पर भी खासा ध्यान दिया जा रहा है ताकि किसानों को प्रोत्साहित किया जा सके। हिमाचल प्रदेश सरकार भी प्राकृतिक खेतो के प्रति किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए इसके मार्केटिंग पर फोकस कर रही है। इसके लिए सरकार ने त्रिस्तरीय रणनीति तैयार की है।
प्रदेश के किसानों की उपज बेचने के लिए आउटलेट शिमला और मंडी में पायलट आधार पर और एक दिल्ली में खोला जाएगा जहां सालोंभर किसान उत्पादक कंपनियां किसानों को लाभकारी कीमतों पर और पारदर्शी तरीके से अपनी उपज बेचने में मदद करेंगे। किसानों के प्राकृतिक उत्पाद बेचने के लिए राज्य में 1000 शेड का निर्माण किया जा रहा है। जहां पर किसान अपनी सब्जियां बेच पाएंगे। अब तक किसानों को 50 शेड दिए जा चुके हैं, और उसके रिस्पांस का इंतजार कर रहे हैं. इसके बाद, किसान अपनी उपज को उन आउटलेट्स पर बेच सकते हैं जो सरकार शिमला, मंडी और दिल्ली में शुरू करेगी। इसके बाद मांग के अनुसार आउटलेट्स की संख्या बढ़ाई जाएगी। एक बार जब उपभोक्ताओं को पता चल जाएगा कि उन्हें साल भर किसी न किसी स्थान पर खाद्य पदार्थ मिल सकते हैं, तो मांग बढ़ेगी।
हिमाचल में प्राकृतिक खेती की स्थिति
- 1.74,394 किसानों ने लिया प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण
- 1.71,000 किसानों ने प्राकृतिक खेती को अपनाया
- 3615 पंचायतों में से 3590 पंचायतों में हो रही खेती
- प्रदेश में 9.421 हेक्टेयर में हो रही है प्राकृतिक खेती
- 10 हजार से ज्यादा बागवान भी कर रहे हैं प्राकृतिक खेती
प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के राज्य परियोजना निदेशक नरेश ठाकुर ने कहा कि प्राकृतिक खेती विधि से सेब उगा रहे बागवानों को अलग से कार्टन उपलब्ध करवाया जाएगा। इसके लिए किसानों से डिमांड मांगी गई है। प्रदेश की 2 मंडियों में पायलेट आधार पर अलग से यार्ड भी बनाए जाएंगे, 2 महीने क अंदर यह यार्ड बन जाएंगे।