जायका प्रोजेक्ट के दायरे में हिमाचल, केंद्र से मिली सैद्धांतिक मंजूरी

केंद्र की सरकार ने हिमाचल को ‘जायका’ प्रोजेक्ट के दायरे में लाने की सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। इस प्रोजेक्ट से हिमाचल की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बेहतर किया जा सकता है। चुनाव से पहले कांग्रेस ने पशुपालकों से रोज 10 लीटर अधिक दूध खरीद की गारंटी का वादा किया था। जो सुक्खू सरकार पूरा करने जा रही है।

दिल्ली में केंद्रीय पशुपालन मंत्री पुरषोत्तम रुपाला से मुलाकात के दौरान सीएम सुक्खू ने ‘जायका’ प्रोजोक्ट में हिमाचल को शामिल करने का अनुरोध किया था।

जायका प्रोजेक्ट में हिमाचल के शामिल होते ही कांगड़ा जिला के ढगवार में आधुनिक मिल्क प्लांट बनाने का रास्ता करीब-करीब साफ हो गया है। दूध की खरीद शुरू करने से पहले सीएम सुक्खू इंफ्रास्ट्रक्चर को ठीक करना चाह रहे हैं। इसमें एक तरफ दूध खरीद कर नेटवर्क सोसाइटी के माध्यम से बनाया जाएगा और दूसरी तरफ कोल्ड चेन से लेकर मिल्क प्रोसेसिंग की सुविधाएं बढ़ेंगी।

भारत सरकार वर्तमान में नेशनल डेयरी प्लान के तहत मिल्क प्रोसेसिंग की मौजूदा सुविधाओं को ठीक कर रही है लेकिन नए प्रोजेक्ट के लिए इस योजना में फंड नहीं है। इसलिए मुख्यमंत्री ने जायका प्रोजेक्ट की तरफ अपना रुख किया। जापान फंडिड जाइका प्रोजेक्ट से मिलने वाले पैसों से नए मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट बनाए जा सकते हैं।

सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपने पहले बजट में हिमगंगा योजना के लिए 500 करोड़ का बजट रखा है। इस स्कीम को लागू करने के लिए वह तीन बार बैठक ले चुके हैं।

पहले चरण में इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने के साथ दूध खरीद के लिए सोसायटीओं को तैयार करना जरूरी है। इसके अगले चरण में फिर लोगों को अधिकतम 10 किलो दूध रोज खरीदने की गारंटी को लागू किया जाएगा। राज्य सरकार गाय या भैंस का ही दूध खरीदेगी।

पशुपालन विभाग के सचिव राकेश कंवर ने बताया कि अभी विभाग नेशनल डेयरी प्लान की डीपीआर पर काम कर रहा है और जायका में शामिल होते ही स्टेट ऑफ आर्ट नए प्लांट की डीपीआर भी बनानी होगी। दूध खरीद और प्रोसेसिंग का ढांचा तैयार होते ही इस गारंटी को लागू कर दिया जाएगा।

जल्द लागू होगी ऑटोमेटिक दूध खरीद प्रणाली

हिमाचल में वर्तमान में मिल्कफेड 1.41 लाख लीटर दूध खरीद कर रहा है। 60,000 लीटर विभिन्न सहकारी समितियों के माध्यम से खरीद हो रही है। हिमाचल का दूध वेरका इत्यादि कंपनियां बाहर भी ले जा रही हैं।

नया नेटवर्क तैयार होने के बाद ऑटोमेटिक मिल्क परचेज सिस्टम लागू होगा। पशुपालक चाहे 2 लीटर दूध ही लाए, उसी वक्त दूध में फैट और सॉलि़ड नोन फैट को माप कर रेट बता दिया जाएगा। यानी दूध का रेट क्वालिटी के आधार पर होगा। यह क्वालिटी नेशनल मिल्क ग्रिड के चार्ट के अनुसार देखी जाएगी। हिमाचल में वर्तमान में 16.15 लाख मीट्रिक टन दुग्ध उत्पादन हो रहा है। हिमाचल में प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता 650 ग्राम है।

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