कैंकर का समय पर उपचार नहीं किया तो सूख सकता है बागीचा
कैंकर एक ऐसी बीमारी है, जिसका समय पर समाधान नहीं किया गया तो यह तीन से चार सालों के अंदर आपके सेब के बागीचों को नष्ट कर सकती है। ऐसे में कैंकर का समय पर ही सही समाधान किया जाना जरूरी है। समाधान जानने से पहले यह जान लेना आवश्यक है कि कैंकर फैलता कैसे है। दरअसल पतझड़ के मौसम में सूर्य की किरणें पौधो पर सीधी पड़ती है। जिसके कारण पौधो की चमड़ी लाल हो जाती है और उसके बाद फटना शुरू हो जाती है। चमड़ी फटने के बाद हवा में फैले कीटाणू उस रास्ते से पौधे में प्रवेश कर जाते है और पौधो में कैंकर फैल जाता है। इसके अलावा नाइट्रोजन ज्यादा होने पर भी पौधों में कैंकर जैसी बीमारियां पनपती है। ऐसे में नाइट्रोजन का संतुलित प्रयोग ही किया जाना चाहिए।
बागवानी विशेषज्ञ डॉ एसपी भारद्वाज का कहना है कि अगर कैंकर का समय पर सही उपचार नहीं किया जाता तो आने वाले कुछ सालों के अंदर यह बीमारी आपके बागीचे को नष्ट कर सकती है। कैंकर की वजह से पौधो का सही से विकास नहीं हो पाता है। इससे पत्तियों पर भी असर होता है और फ्रूट क्वालिटी भी अच्छी नहीं बन पाती है। ऐसे में कैंकर का समय पर सही उपचार किया जाना चाहिए।
बागवानी विशेषज्ञ का मामना है कि कैंकर से बचाने के लिए पतझड़ के तुरंत बाद ही पौधो के तनों में चूने का लेप लगाना चाहिए। चूने का लेप पौधे को सूर्य की किरणों से बचाता है। ज्यादात्तर देखा गया है बागवानी प्रूनिंग का काम पूरा होने के बाद ही पौधों में पेस्ट लगाने और बोर्डो मिक्चर लगाने का कार्य करते हैं। प्रूनिंग में ज्यादात्तर बागवानों को महीने दो महीने का समय लग जाता है। इस दो महीने के समय में कीटाणू उन भागों से पौधो में प्रवेश कर जाते है। जिन भागों पर प्रूनिंग के बाद घाव लग जाते है। ऐसो में प्रूनिंग के साथ साथ ही पेस्ट लगाने का काम किया जाना चाहिए। इसके अलावा 20-25 पौधों में प्रूनिंग हो जाने पर बोर्डो मिक्चर की स्प्रे भी साथ साथ् कर लेनी चाहिए।