जुन्गा में तैयार किया हाई डेसिंटी बागीचा, 2 हजार में बेचा 2 लेयर का बाक्स

सेब की बागवानी अब सिर्फ ऊंचाई वाले क्षेत्रों में लिए ही नहीं रह गई है। बदलते दौर में निचले क्षेत्रों में भी सेब की खेती हो रही है। नई तकनीक के साथ लोअर एलिवेशन में बागवान सेब की नई किस्मों की खेती कर रहे है। शिमला जिला के जुन्गा क्षेत्र के युवा एवं प्रगतिशील बागवान रंजन ठाकुर ने कुछ ऐसा ही कर दिखाया है। आम तौर पर जुन्गा व इसके साथ लगते क्षेत्र सब्जियों एवं फूलों की खेती के लिए जाने जाते हैं। यहां पर सेब की खेती के प्रति लोगों में उतना रूझान नहीं था, लेकिन रंजन ठाकुर की कोशिश के बाद अब यहां पर लोग सेब की खेती करने लगे है।

रंजन ठाकुर ने वर्ष 2021 में सेब के 500 पौधे जुन्गा से करीब 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थिति उनके गांव सांई बांई कोहान में लगाए थे। हाई डेंसेंटी पर इन्होंने सेब का बागीचा तैयार किया है। सेब का अनुभव कम होने के कारण शुरूआत में इन्हें कई दिक्कतों का सामना भी करना पड़ा लेकिन लव ब्रदर्स फ्रूट ट्री नर्सरी के सहयोग से उन्होंने अपनी कोशिश को अंजाम तक पहुंचाया। महज 16 महीनों के अंतराल में सेब उन्होंने न सिर्फ बागीचे से सैंपल लिया, बल्कि अच्छे दामों पर उसे मार्केट में बेच भी दिया।

जुन्गा के रंजन ठाकुर बताते हैं कि उन्होंने महज 16 महीनों में सेब के 55 हॉफ बॉक्स का सैंपल लिया। जुन्गा से सेब तैयार कर नारंकडा मंडी में पहुंचा। जैसे ही सेब की पेटियां खुली, सेब की चमक, रंग व आकार देखकर सब चकित रह गए। मंडी में मौजूद आढ़ती उनके सेब की चमक देखकर दंग रह गए। हर आढ़ती ने उनका सेब खरीदने के लिए बढ़चढ़कर बोली लगाना शुरू कर दिया। अंत में 2 हजार रुपए में एक हाफ बॉक्स मंडी में बिका है। रंजन ठाकुर ने बताया कि उनका गांव जुन्गा से 4 से 5 किलोमीटर की दूरी पर है। उनके गांव की ऊंचाई लगभग 5800 फीट हैं। सेब की खेती में सबसे बड़ी समस्या अनुभव का नहीं होना था, लेकिन लव ब्रदर्स फ्रूट ट्री नर्सरी के मागर्दशन से यह समस्या दूर हो गई है। इसके लिए वह लव ब्रदर्स फ्रूट ट्री नर्सरी का भी आभार व्यक्त करते हैं।

इन किस्मों के सेब उगा रहे हैं रंजन
रंजन ठाकुर का कहना है कि उन्होंने लव ब्रदर्स फ्रूट ट्री नर्सरी से ही सेब के 500 फीदर प्लांट खरीदे हैं। इनमें मेमा गाला, स्निको रेड और किंग रॉट किस्म के पौधें है। यह पौधें एम -9 रूट स्टॉक पर तैयार किए गए हैं। सब्जियों की सिंचाई के लिए पानी का टैंक पहले से बना हुआ था। इसी का प्रयोग कर ड्रिप इरीगेशन सिस्टम बागीचे में शुरू किया। उनका कहना है कि उनके क्षेत्र में थोड़ी पानी की दिक्कत भी रहती हैं, लेकिन ड्रिप इरीगेशन प्रणाली से पानी का सही प्रयोग होता है। पानी की बर्बादी नहीं होती है।

इलाके लिए प्रेरणा बने रंजन
जुन्गा क्षेत्र के रंजन ठाकुर की सफलता देखकर इलाके के अन्य लोग भी उनसे प्रेरणा ले रहे हैं। आसपास के क्षेत्रों के बागवान उनका बागीचा देखने आ रहे हैं और उनसे सीडलिंग की बजाए रूट स्टॉक पर हाईडेंसिटी में सेब तैयार करने की जानकारी ले रहे है। रंजन ठाकुर बताते हैं कि शुरूआत में जब उन्होंने जुन्गा में हाई डेंसिंटी पर सेब तैयार करने की विचार आया तो उनके कई तरह की चुनौतियां उनके समक्ष थी, लेकिन मार्गदर्शन मिलने के कारण उन्हें ज्यादा परेशानियां नहीं आई। अब रंजन अपने इलाकें के लोगों को भी हाई डेंसिटी पर सेब की खेती करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।

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