राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने क्षेत्रीय बागवानी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केन्द्र मशोबरा का दौरा किया। अपने पहले दौरे पर राज्यपाल ने वैज्ञानिकों से कहा कि “वे संस्थानों से बाहर निकलकर अपने क्षेत्र में किसानों को प्राकृतिक खेती के प्रति जागरूक करें। उन्होंने कहा कि किसान इसके लाभ जानकर निश्चित रूप से इस पद्धति को अपनाएंगे।”
राज्यपाल ने औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी द्वारा रिसर्च केन्द्र में आयोजित ‘प्राकृतिक खेती-सुरक्षित विकल्प विषय पर किसानों और वैज्ञानिकों के संवाद कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि “प्राकृतिक खेती अपनाने वाले किसान आज न केवल अपनी आय बढ़ा रहे हैं बल्कि सकल उत्पादन बढ़ाने में भी मदद कर रहे हैं।”
कार्यक्रम में नौणी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल ने में कहा कि “देश में पहली बार किसानों और वैज्ञानिकों के समन्वय से प्राकृतिक खेती की विशेष कृषि प्रणाली विकसित की गई है। किसानों को केंद्र में रखकर प्राकृतिक खेती पद्धति को लागू किया गया है। किसान और फल उत्पादक स्वेच्छा से इसे अपना रहे हैं और इसकी सफलता उन्हीं पर निर्भर करती है।”
100 गांव बनेंगे प्राकृतिक खेती के गांव
प्राकृतिक खेती परियोजना निदेशक नरेश ठाकुर ने कहा कि “परियोजना मॉडल के तहत प्रत्येक पंचायत में प्राकृतिक खेती के फार्म विकसित किए जाएंगे और इस वर्ष 100 ऐसे गांवों का चयन किया जाएगा, जहां हर किसान प्राकृतिक खेती अपनाएगा। राज्य सरकार प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रही है और इसके लिए बजट में प्रावधान किया गया है।”