पॉलिसी बनाने के लिए डेडलाइन तय करें सरकार, नहीं तो आंदोलन

आऊट सोर्स कर्मचारियों के लिए बन रही पॉलिसी पर अभी तक कोई निर्णय नहीं निकल पाया है। पॉलिसी बनेगी या नहीं। बनेगी तो कब तक बनेगी। ऐसे में अब आउटसोर्स कर्मचारी सरकार की टालमटोल की नीति से काफी परेशान हो गए है। आउटसोर्स कर्मचारियों ने सरकार को चेताया है कि सरकार जल्द से जल्द कर्मचारियों के लिए पॉलिसी की डेडलाइन तय करे।
एक निश्चित समयावधि के भीतर आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए पॉलिसी बनाई जाए। आउटसोर्स कर्मचारी महांसघ के प्रदेशाध्यक्ष शैलेंद्र शर्मा ने चेताया है कि अगर सरकार डेडलाइन तय नहीं करती है या टालमटोल की नीति अपनाती है तो फिर आउटसोर्स कर्मचारियों को मजबूरन आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ेगा। उनका कहना है कि महासंघ द्वारा कई बार एक अंतिम तिथि बताने की भी बात बोली गयी है, किंतु कैबिनेट सब कमेटी के सदस्यों क़ी बैठक और निर्णय के बिना सरकार कोई भी तारीख़ अभी तक नहीं दे पायी है।

ऐसे में अब समस्त जिलाध्यक्षों एवं प्रदेश कार्यकारिणी क़ी बैठक का दौर चल रहा है जिसमें संगठन के कुछ कार्यों को शीघ्र निपटाया जा रहा है और आगामी रणनीति पर चर्चा क़ी जा रही है। अब देखना यह होगा क़ी महासंघ आंदोलन कि राह अख्तयिार करता है या कुछ और रास्ता अपनाता है। यदि आंदोलन कि राह पर भी संघ को जाना होगा तो एक बार कैबिनेट सब कमेटी से या मुख्यमंत्री से मिलकर जवाब लेना जरूरी है और केंद्रीय मंत्रियों के दौरों के उपरान्त महासंघ इसी और अग्रसर है। आंदोलन महासंघ क़ी मजबूरी भी हो सकता है जिस तरह से आज कर्मचारी अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं, किन्तु कुछ भी कदम लेने से पहले महासंघ सरकार के साथ एक बार वार्ता करेगा।

पॉलिसी बनी तो मिलेगी चुनावी लाभ
आउटसोर्स कर्मचारी महासंघ का कहना है कि सरकार अगर आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए इसी कार्यकाल में पॉलिसी बना देती हैं, तो यह एहितासिक उपलब्धि होगी। इसके लिए आउटसोर्स कर्मचारियों द्वारा सरकार का सहयोग दिया जाएगा। आने वाले विधानसभा चुनावों में सभी आउटसोर्स कर्मचारियों द्वारा सरकार को चुनावी लाभ प्रदान किया जाएगा।

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