एचआरटीसी से रिटायर 2500 कर्मचारियों की नहीं हुई पे फिक्सेशन

एचआरटीसी से रिटायर हुए 2500 कर्मचारियों की अभी तक पे फिक्सेशन नहीं हुई हैं, जिसके कारण इन्हें अभी तक नए वेतन मान का लाभ नहीं मिल पाया है। एचआरटीसी से वर्ष 2016 के बाद रिटायर हुए कर्मचारियों को भी तक नए वेतन आयोग का लाभ नहीं मिल पाया है। इन सेवानिवृत कर्मचारियों की अभी तक पे फिक्सेशन ही नहीं हो पाई है। ऐसे में यह सेवानिवृत कर्मचारी अभी तक नए वेतन मान मिलने के इंतजार है। करीब 2500 के करीब पैंशनर्स ऐसे हैं, जो एचआरटीसी से 2016 के बाद रिटायर हुए हैं। इन कर्मचारियों को नए वेतनमान का लाभ नहीं दिया गया है।


एचआरटीसी मे करीब 9 हजार पैंशनर्स हैं। इनमें से साढ़े े6 हजार के करीब पैंशनर्स 2016 से पहले रिटायर हो चुके थे। इन पैशनरों को सरकार ने नए वेतन आयोग का लाभ प्रदान कर दिया हैं, लेकिन इसके बाद रिटायर हुए पैशनर्स को नए वेतन आयोग का लाभ देना सरकार भूल गई। जबिक एचआरटीसी की बीओडी की बैठक मे भी इन कर्मचारियों को नए वेतन आयोग का लाभ देने के लिए भी अनुमति मिल गई थी।

हिमाचल परिवहन पैशनर्स कल्याण मंच के प्रदेशाध्यक्ष बलराम पुरी का कहना है कि इस बारे में एचआरटीसी प्रशासन से बार बार मामला उठाया जा रहा हैं, लेकिन अभी तक यह कर्मचारी नए वेतन आयोग के लाभ से वंचित हैं। उन्होंने सरकार से मांग उठाई है कि सरकार एचआरटीसी पैंशनरों की समस्याओं को प्राथमिकता के आधार पर हल करे।

आपातकालीन स्थिति में एचआरटीसी के ड्राईवर कंडक्टर ही सरकारों को याद आते रहे हैं, लेकिन जब वित्तीय लाभ देने की बारी आती हैं तो सबसे ज्यादा कर्मचारियों व सेवानिवृत की अनदेखी की जाती है। उन्होंने प्रदेश में बनी नई सरकार से मांग उठाई है कि वह एचआरटीसी चालकों-परिचालकों की समस्याओं को प्रमुखता से सुलझाए। हालांकि उन्होंने यह भी कहा है कि प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के कारण एचआरटीसी पैशनरों की आस बंधी हैं कि उनकी समस्याओं का अब जल्द समाधान होगा।

नाइट ओवर टाइम नहीं मिला

एचआरटीसी में तैनात करीब 9 हजार ड्राईवर व कंडक्टरों का 36 महीनें का नाइट ओवर टाइम लंबित है। वर्ष 2018-21 तक का नाइट ओवर टाइम एचआरटीसी ड्राईवर कंडक्टरों को जारी नहीं किया गया है। हालांकि एचआरअीसी ड्राईवर कंडक्टर लगातार 36 महीनों के नाइटओवर टाइम को जारी करने की मांग उठा रहे हैं, लेकिन एचआरटीसी प्रशासन की ओर से घाटे की बात की जाती हैं। ऐसे में एचआरटीसी में तैनात करीब 9 हजार ड्राईवर व कंडक्टरों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

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