विधानसभा के बजट सत्र के दौरान सोमवार को Óवालामुखी विधानसभा क्षेत्र के विधायक रमेश ध्वाला ने निगम व बोर्डो के घाटे पर सरकार को घेरा। उन्होंने सरकार से निगमों व बोर्ड के कर्मचारियों को सरकार के अन्य उपक्रमों में समायोजित करने की मांग उठाई है। ध्वाला ने कहा कि कैग की रिपोर्ट में भी इस बात का जिक्र हुआ हैं कि बोर्ड व निगम करोड़ों के घाटे में चल रहे हैं।
70 फीसदी निगम-बोर्ड घाटे में हैं। परिवहन निगम में चालकों और परिचालकों से अधिक अफसर हैं। बिजली बोर्ड में जरूरत से अधिक चीफ इंजीनियर नियुक्त हैं। इस तरह के सरप्लस स्टाफ को अन्य उपक्रमों में भेजने के लिए नीति बनाई जानी चाहिए। इसके जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि रमेश धवाला टेक्निकल आदमी हैं। अ’छा होता घाटा दूर करने के सुझाव भी देते।
बताया कि हिमाचल में 11 निगम और एक बोर्ड घाटे में है। तीन की आर्थिक स्थिति में कुछ सुधार आया है। दूरदराज क्षेत्रों में लोगों की सुविधा के लिए घाटे वाले उपक्रमों को चलाना भी जरूरी है। इन्हें बंद करने का सुझाव कुछ जगह व्यावहारिक नहीं है। जनहित में बिजली बोर्ड और एचआरटीसी को बंद नहीं किया जा सकता। ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की सुविधा के लिए कई रूट घाटे में चलाने पड़ते हैं।
दुर्गम क्षेत्रों में बिजली की मेंटेनेंस करनी पड़ती है। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, ओबीसी जैसे वर्गों के लिए भी उपक्रम बनाए गए हैं। इन्हें भी लाभ और नुकसान की दृष्टि से नहीं आंका जा सकता। कोरोना संकट में सरकार ने कई उपक्रमों की वित्तीय सहायता की है। बिजली बोर्ड को बीते तीन वर्ष में 1521 करोड़, एचआरटीसी को 1585 करोड़ और पर्यटन विकास निगम को 70 करोड़ की मदद दी गई है।
वन निगम, हस्तशिल्प एवं हथकरघा निगम और अल्पसंख्यक विकास निगम में कुछ सुधार आया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरप्लस स्टाफ को लेकर जानकारी जुटाने के बाद आगामी फैसला लिया जाएगा। विपक्ष के विधायक जगत सिंह नेगी भी इसे प्रदेश हित का मामला बताते हुए इस पर अनुपूरक प्रश्न लगाने की मांग करते रहे लेकिन उन्हें अनुमति नहीं मिली।