पदोन्नति के लिए दोनों विकल्प खुले रखे शिक्षा विभाग, टीजीटी कला मंच ने शिक्षा विभाग से उठाई है मांग

हिमाचल प्रदेश में तैनात टीजीटी शिक्षकों को हेडमास्टर व प्रवक्ता पदोन्नति के दोनों विकल्प खुले रखने की व्यवस्था की जाए। जिस भी प्रमोशन चैनल में शिक्षक को पहले पदोन्नति अवसर मिल, वह उस विकल्प को अपनाने हेतु स्वतंत्र हो । किसी एक प्रमोशन चैनल में ही टीजीटी शिक्षकों को बांधे जाने से उनको बहुत नुकसान हो रहा है।


वर्ष 2011 के बाद केवल एक ही विकल्प का चयन करने हेतु टीजीटी शिक्षक बाध्य हैं मगर उस समय पदोन्नति के लिए स्नातकोत्तर में 50 प्रतिशत से कम अंक होने पर भी प्रवक्ता पदोन्नति के भर्ती पदोन्नति नियम थे । आज वे नियम बदल चुके हैं और अब वे शिक्षक प्रवक्ता प्रमोट नहीं किए जा रहे हैं जिनके स्नातकोत्तर परीक्षा में 50 प्रतिशत से कम अंक हैं

। ऐसे में प्रवक्ता पदोन्नति के लिए उनके द्वारा चयनित विकल्प उनके लिए मुसीबत बन गया है क्योंकि विकल्प बदलने की कोई भी व्यवस्था नहीं है । वर्ष 2011 के बाद नियुक्त टीजीटी अगर प्रवक्ता का विकल्प चुनकर नए नियमों के चलते प्रवक्ता प्रमोट नहीं हुआ तो उसको हेडमास्टर पदोन्नति भी नहीं मिलेगी क्योंकि चुना हुआ पदोन्नति विकल्प बदलने पर हाईकोर्ट की मनाही वाला फैसला आ चुका है । ऐसे में शिक्षा विभाग 2011 से पहले नियुक्त व प्रमोटी टीजीटी की तर्ज पर पदोन्नति के लिए दोनों विकल्प खुले रखे ।

टीजीटी कला संघ प्रदेशाध्यक्ष सुरेश कौशल व महासचिव विजय हीर ने शिक्षा सचिव को प्रेषित ज्ञापन में यह मामला उठाया है । विकल्प के फेर में जो शिक्षक दोनों पदोन्नतियों से वंचित हो रहे हैं या गलत विकल्प चयन के चलते देरी से पदोन्नत होंगे, उनके लिए विभाग के पास कोई राहत की व्यवस्था नहीं है। जो विषय स्नातक में पड़े हैं ए उनमें ही टीजीटी से प्रवक्ता पदोन्नति की व्यवस्था हो ताकि शिक्षण में गुणवत्ता आ सके और विषय विशेषज्ञ ही संबन्धित विषय बतौर प्रवक्ता पढ़ाए। यूजीसी के वर्ष 1985 के नियमों का सम्मान इस संदर्भ में आपेक्षित है ।

23 अनुबंध प्रवक्ता बैकडेट से किए नियमित
वर्ष 1998 में अनुबंध आधार पर भर्ती प्रवक्ताओं का नियमितीकरण 31 दिसंबर, 2008 को हुआ था मगर इन प्रवक्ताओं ने हाईकोर्ट में विभिन्न केस दायर करते हुए नियमितीकरण लाभ बैकडेट से मांगे थे क्योंकि हिमाचल प्रदेश में अनुबंध नियमितीकरण नीति 2008 में आई थी और ये प्रवक्ता उस समय तक 10 साल सेवाकाल पूर्ण कर चुके थे मगर उस नीति में 08 साल अनुबंध पर नियमित करने का प्रावधान था । ऐसे में इनको 8 साल सेवाकाल उपरांत अब 01 जनवरी 2007 से नियमित किया गया है । 1999 में नियुक्त अनुबंध प्रवक्ता 1 जनवरी 2008 से नियमित किए गए हैं यानि उनको अब वरिष्ठता और पदोन्नति शीघ्र होने का भी लाभ मिलेगा जिसका आधार अर्पणा बाली बनाम सरकार मामला है ।

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