प्रोमालिन और परलान बेचने वालों का रद्द होगा लाइसेंस

बागवानों को सेब की पैदावार बढ़ाने और सेब का आकार लंबा बनाने के लिए दवाई विक्रेता प्रोमालिन और परलान रसायन नहीं बेच पायंगे। अगर कोई दवाई विक्रेता भगवानों को परलान और प्रोमालिन बेचता है तो उसका लाइसेंस रद्द हो सकता है। ऐसी दवाई विक्रेताओं पर बागवानी विभाग की ओर से सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाएगी बागवानी विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह दोनों रसायन केंद्रीय कीटनाशक प्रमाणन बोर्ड के अंतर्गत पंजीकृत नहीं है। ऐसे में इन दोनों रसायनों को किसी भी दवाई की दुकान पर नहीं बेचा जा सकता है

उद्यान विभाग के एक प्रवक्ता ने आज यहां जानकारी दी कि विभाग के संज्ञान में आया है कि कुछ अपंजीकृत/अनाधिकृत रसायनों जैसे प्रोमालिन और परलान को कुछ रसायन विक्रेताओं द्वारा किसानों को इस दावे से बेचा जा रहा है कि इन रसायनों का गुलाबी कली पर इस्तेमाल तथा छिड़काव करने से सेब की गुणवत्ता व उत्पादन में बढ़ोतरी होती है। उन्होंने कहा कि कीटनाशक अधिनियम 1968 तथा केन्द्रीय कीटनाशक बोर्ड द्वारा इन रसायनों को अनुमोदित नहीं किया गया है और डॉ. वाई.एस. परमार बागवानी और वानिकी विश्वविद्यालय नौणी सोलन द्वारा इन रसायनों का फल पर उपयोग करने के लिए परीक्षण और अनुमोदन नहीं किया गया है।

उन्होंने कहा कि कुछ रसायन विक्रेता व फल उत्पादक संघ अपने निजी स्वार्थों के कारण इन रसायनों की अनाधिकृत बिक्री कर रहे हैं। प्रवक्ता ने बताया कि यदि कोई रसायन विक्रेता अनाधिकृत रसायनों को राज्य को विक्रयकर्ता पाया गया तो उसके विरूद्ध कीटनाशक अधिनियम 1968 की धारा 29 के तहत कार्रवाई अमल में लाई जाएगी तथा ऐसे रसायन विक्रेताओं का लाइसंेस तुरन्त रद किया जाएगा। इसलिए प्रदेश के बागवानों से अनुरोध है कि वे विभाग द्वारा अनुमोदित स्प्रे सारिणी के अनुसार ही रसायनों का प्रयोग करें।

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