बारिश के अलर्ट के बीच चिलचिलाती धूप ने किया परेशान

तापमान में सिर्फ एक डिग्री की गिरावट, गर्मी से राहत नहीं मिली
ऊना जिला में सबसे अधिकत 36.2 डिग्री अधिकतम तापमान
कल फिर बारिश का येलो अलर्ट, परसों से मौसम साफ सताएगी धूप

मौसम विभाग की ओर से बारिश को लेकर जारी किए गए अलर्ट के बीच चिलचिलाती धूप ने लोगों को परेशान किया। मौसम विभाग ने बारिश की संभावना जताई थी, लेकिन बारिश नहीं हुई। प्रदेश के सभी जिलों में दिनभर धूप खिली रही है। धूप खिलने से लोगों को गर्मी के प्रकोप से दो चार होना पड़ा। हालांकि शाम के समय ठंडी हवाएं चलने से लोगों को हल्की राहत जरूर मिली है।

बुधवार को प्रदेश के अधिकतम तापमान में सिर्फ एक डिग्री की गिरावट दर्ज की गई है। मंंगलवार को प्रदेश में सबसे अधिक तामपान जहां 37.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था, तो वहीं बुधवार को अधिकतम तापमान 36.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। सबसे अधिक तापमान प्रदेश के ऊना जिला में दर्ज किया गया। इसके अलावा शिमला में अधिकतम तापमान 22.5, सुंदरनगर 32.4, भुंतर 30.3, कल्पा 18.4, धर्मशाला 31.6, नाहन 30.7, केलांग 13.7, पालमपुर 26.7, सोलन 30.6, मनाली 24.5, कांगड़ा 31.6, मंडी 33.0, बिलासपुर 33.5 , हमीरपुर 32.8, चंबा 30.7, कुफरी 17.7 और जुब्बड़हट्टी में 27.3 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ। उधर, शिमला में न्यूनतम तापमान 14.2, सुंदरनगर 10.3, भुतंर 8.9, कल्पा 5.1, धर्मशाला 11.2, ऊना 14.7, नाहन 22, केलांग माइनस 0.9, पालमपुर 14, सोलन 11.2, मनाली 6.8, कांगड़ा 14, मंडी 12.1, बिलासपुर 13.5, हमीरपुर 13.8, चंबा 10.6, डलहौजी 9.2, कुफरी 10.4,जुब्बड़हट्टी 16.7, पांवटा साहिब में 13.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। मौसम विभाग की ओर से जारी किए गए येलो अलर्ट के कारण किसानों बागवानों को बारिश की काफी उम्मीद थी, लेकिन बारिश न होने के कारण लोगों को किसानों को मायूसी हाथ लगी है। मौसम विभाग ने वीरवार को भी प्रदेश में बारिश का अलर्ट जारी किया है। ऐसे में बागवानों को आज बारिश होने की उम्मीद है। मौसम विभाग की ओर जारी किए गए येलो अलर्ट के अनुसार प्रदेश में अगर बारिश होती हैं तो इससे लोगों को गर्मी से काफी हद तक राहत मिलेगी। वहीं प्रदेश के किसानों व बागवानों को भी काफी ज्यादा राहत मिलने के आसार है। ऐसा इसलिए क्योंकि पिछले कुछ दिनों से लगातार खिल रही धूप से प्रदेश का पारा 37 डिग्री तक चला गया है। इससे हिमाचल के प्राकृतिक जल स्त्रोतों में पानी का स्तर घटने लगा है। इसके कारण किसानों की फसले बिना पानी के सूखने लगी है।

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