विश्व क्षय रोग दिवस: हिमाचल को आज फिर मिलेगा बेस्ट परफोर्मिंग स्टेट अवार्ड

क्षय रोग उन्मूलन की दिशा में हिमाचल प्रदेश ने देशभर में फिर से पहला स्थान प्राप्त किया है। क्षय रोग उन्मूलन के लिए बेहतर काम करने पर हिमाचल को फिर से बेस्ट परफोर्मिंग अवार्ड प्रदान किया जाएगा। यह अवार्ड दिल्ली में केंद्रीय स्वास्थय मंत्री मनसुख मंडाविया की ओर से दिया जाएगा। प्रदेश के 8 जिलों को सिल्वर और 3 जिलों को ब्रान्ज मेडल प्रदान किया जाएगा।


टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत प्रोग्रेमेटिक इंटरवेंशन में हिमाचल देशभर में प्रथम स्थान है। भारत सरकार ने राष्ठ्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत राज्यों के कार्यक्रम संबंधी मध्यक्षेप यानि प्रोग्रामेटिक इंटरवेंशन की रैंकिंग की है, जिसमे हिमाचल प्रदेश को देश में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ है। यह पुरूस्कार 50 लाख से अधिक आबादी वाले राज्यों की श्रेणी में प्रदान किया गया है।

हिमाचल प्रदेश संपूर्ण भारत में पिछले 4 वर्षो से सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर रहा है। इस बार भी हिमाचल प्रदेश राज्य को संपूर्ण भारत में प्रोग्रामेटिक इंटरवेंशन में प्रथम स्थान के लिए चुना गया है। भारत सरकार द्वारा प्रतिवर्ष सब-नेशनल सर्टिफिकेशन के अंतर्गत उत्कृष्ट उपलब्धियां अर्जित करने वाले राज्यों व जिलों को गाइडलाइन के अनुसार श्रेणी वार गोल्ड, सिल्वर व ब्रोंज मैडल से सम्मानित किया जाता है।

हिमाचल प्रदेश राज्य को संपूर्ण भारत से ‘प्रथम स्थान के लिए चुना गया है, जो कि संपूर्ण हिमाचल और स्वास्थ्य विभाग के लिए हर्ष व उत्साह का विषय है। हिमाचल को यह पुरूस्कार विश्व क्षय रोग उन्मूलन दिवस के अवसर पर गुरुवार को नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मंडाविया द्वारा प्रदान किया जाएगा। प्रदेश की ओर से राज्य क्षय अधिकारी डॉ. गोपाल बेरी यह पुरूस्कार प्राप्त करेंगे। भारत सरकार ने क्षय रोग उन्मूलन के लिए राज्य और जिला स्तरीय उप राष्ट्रीय कार्यक्रम शुरू किया है।

वर्ष 2021-22 के लिए हिमाचल प्रदेश में सब नेशनल सर्टिफिकेट हेतु समस्त 12 जिलों को नामांकित किया गया था, जिसमे राज्य के 8 जिलों हमीरपुर, किन्नौर, कुल्लू , काँगड़ा, मंडी, शिमला, लाहौल स्पीति, ऊना को सिल्वर मैडल से सम्मानित किया जाएगा एवं चंबा , सिरमौर, सोलन जिलों को ब्रोंज मैडल से सम्मानित किया जायेगा। पहले भी मिल चुका है अवार्ड हिमाचल को पिछले 4 वर्षो से समस्त भारत में टीबी के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ कार्य करने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा सम्मानित किया जा रहा है, पिछले वर्ष लाहौल स्पीति को सिल्वर मैडल एवं काँगड़ा, ऊना, हमीरपुर व किन्नौर को कांश्य पदक से सम्मानित किया जा चुका है।

हिमाचल में टीबी 14,524 के नए मरीज
हिमाचल प्रदेश में टीबी के मामलों में इजाफा हो रहा है। इस बात का खुलासा राष्ट्रीय स्वास्थय मिशन के तहत टीबी उन्मूलन के लिए चलाए गए एक्टिव केस फाइंडिंग अभियान में हुआ है। एक्टिव केस फाइडिंग अभियान में जनवरी 2021 से लेकर दिसंबर 2021 तक 14,524 लोगों में टीबी पाया गया है। इसके तहत जनवरी, 2021 से दिसंबर,2021 के बीच 1,34,640 मरीजों की टी.बी. स्क्रीनिंग की गई। इनमें से 14,524 मरीजों में टी.बी. की पहचान हुई जिनमे 5519 महिलाएं व 9005 पुरुष शामिल हैं जिनका इलाज शुरू कर दिया गया।
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वर्ष 2025 तक टीबी उन्मूलन का लक्ष्य
टीबी उन्मूलन की दिशा में प्रतिबद्धता हेतु विभिन्न राजनैतिक दलों से सरोकार रखने वाले जनप्रतिनिधियों की सक्रिय भागीदारी से निश्चित ही वर्ष 2025 तक हिमाचल प्रदेश को टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य प्राप्त कर लेंगे, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. राजीव सैजल ने यह विचार टीबी उन्मूलन की दिशा में जन आंदोलन के लिये जन प्रतिनिधियों की सक्रिय भागीदारी हेतु विधानसभा के बजट सत्र के दौरान आयोजित कार्यशाला में जन प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए प्रकट किया।

टीबी के लक्षण
-भूख न लगना, कम लगना तथा वजन अचानक कम हो जाना.
-बेचैनी एवं सुस्ती छाई रहना, सीने में दर्द का एहसास होना, थकावट रहना व रात में पसीना आना.
-हलका बुखार रहना, हरारत रहना.
-खाँसी आती रहना, खांसी में बलगम आना तथा बलगम में खून आना
-कभी-कभी जोर से अचानक खाँसी में खून आ जाना

टीबी से बचने के उपाय
-दो हफ्तों से अधिक समय तक खांसी रहती है, तो चिकित्सक को दिखायें और बलगम की जांच करवायें.
-बीमार व्यक्ति से दूरी ही बनायें.
-समय पर खाना खाएं.
-आपके आस-पास कोई बहुत देर तक खांस रहा है, तो उससे दूर रहें.
-किसी बीमार व्याक्ति से मिलने के बाद अपने हाथों को ज़रूर धो लें.
-पौष्टिक आहार लें जिसमें पर्याप्त मात्रा में विटामिन्स, मिनरल्स, कैल्शियम, प्रोटीन और फाइबर हों।
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टीबी का बेजोड़ इलाज
डॉट्स पद्धति से मरीज इलाज कराता है तो उसे क्षय रोग से मुक्त होने में 10 महीनों से भी कम समय लगता है। शर्त यही है कि दवा नियमित और रोज लेनी है. जो लोग बीच में दवा खाना छोड़ देते हैं, उनके क्षयरोग के कीटाणु नष्ट नहीं होते बल्कि दवा के प्रति प्रतिरोध उत्पन्न कर लेते हैं. डॉट्स विधि के अन्तर्गत चिकित्सा के तीन वर्ग हैं पहला, दूसरा व तीसरा. प्रत्येक वर्ग में चिकित्सा का गहन पक्ष व निरंतर पक्ष होता है. इस दौरान हर दूसरे दिन, सप्ताह में तीन बार दवाइयों का सेवन कराया जाता है।

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