तब तो खाना छोड़कर भी आ जाते हैं। तब कैसे नहीं आते, दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र में कैसी व्यवस्थाएं है?

तब तो खाना छोड़कर भी आ जाते हैं। तब कैसे नहीं आते, दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र में कैसी व्यवस्थाएं है?

 

 

फरियाद करने वाला व्यकित चबूतरे के पास आकर लकड़ी में धुंआ करता है। धुंआ देखते ही ज्येष्ठांग यानि अपर हाऊस के लोग चबूतरे के पास आ जाते हैं। फिर कनिष्ठांग यानि लोअर सदन के सदस्यो को बुलाने के लिए आवाज दी जाती है। “होययय भुरूए होययय”

यह कहने पर कोई न आए तो कहा जाता है “द्रोही धटके” यानि कसम देवता की जो तुम न आओ। तब सब लोग इक्टठे हो जाते हैं। यदि द्रोही धटके कहने पर भी कोई न आए तो कारदार विश्वास भरे स्वर में कहता है “तब तो खाना छोड़कर भी आ जाते हैं। तब कैसे नहीं आते”

यह वाक्य कुल्लू के मलाणा गांव में प्रयोग किए जाते हैं जब कोई फरियादी न्याय के लिए गुहार लगाता है। उसके बाद मामला पर सुनवाई होती है। मामला पहले लोअर सदन यानि कनिष्ठांग में पारित होता है फिर अपर सदन ज्येष्ठांग के पास जाता है। फिर ऊपरी सदन में मामले पर बहस होती है। ज्येष्ठांग किसी निर्णय या संपति का संशोधन स्वयं नहीं करता। संशोधित प्रकरण फिर निचले सदन के पास सहमति के लिए जाता है।

किसी भी मामले को लेकर दोनो सदनो में जमकर बहस होती है। दोनो सदनो की सहमति के बाद ही फैसला किया जाता है। यदि किसी मामले में दोनो सदनो में अंतिम सहमति न बन पाए तो मामला अंतिम निर्णय के लिए देवता के पास जाता है। देवते का निर्णय गुर के माध्यम से सुनाया जाता है।

इस पर भी निर्णय निष्पक्ष न हो तो देवते के गूर पर भी संदेह किया जाता है। गुर में देवते ने प्रवेश किया या नहीं। इस स्थिति से निपटने के लिए एक और तरकीब अपनाई जाती है। ऐसे में दोनो पक्षो की ओर से दो बकरे लाए जाते हैं। दोनो बकरों की जांघे चीरकर उनमे जहर मिलाया जाता है। जिस पक्ष का बकरा जल्दी मर जाता है। उसे अपराधी घोषित किया जाता है और दंडित भी किया जाता है।

दंड का पालन सभी को मानना पड़ता है। सभी उसका पालन करते हैं। हालांकि पालन किया जा रहा है या नहीं उसे देखने के लिए चार लोग रखे जाते हैं जो पुलिस का काम करते है। चोरी के अपराध में दोषी को चोरी के माल की दुगनी कीमत चुकानी पड़ती है। यदि को कीमत नहीं चुकाता है तो उसके घर का सामान उठा लिया जाता है। जब तक वह जुर्माना न चुका ले।

देवता के सामान की चोरी करना सबसे संगीन अपराध माना जाता है। ऐसा करने पर दोषी को गांव से बाहर कर दिया जाता है। उसके सामान की नीलामी की जाती है। नीलामी से प्राप्त राशि या संपति को देवता के कोष में जमा कर दिया जाता है।

मलाणा गांव में संसद की तरह ही दो सदन है। अपर सदन और लोअर सदन। अपर सदन को ज्येष्ठांग कहा जाता है जबिक लोअर सदन को कनिष्ठांग। जयेष्ठांग में 11 सदस्य होते है जिनमें कारदार, पुजारी और गूर तीन पैतृक होते है। जबिक 8 सदस्य चार घरानो से होते है। यह घराने है, खिमाणिंग, पंचाणिंग, धर्माणिंग और सरबल कुल।

इन चारो घरानो से दो-दो सदस्य चुने जाते हैं। गुर या अन्य सदस्य की मृत्यू होने पर ज्येष्ठांग भंग हो जाता है। इसके बाद दोबारा से चुनाव किया जाता है। कनिष्ठांग में प्रत्येक घर से एक सदस्य आता है। यह सदस्य घर का मुखिया होता है।

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