सरकार ने एक ओर जहां प्रदेश में कर्मचारियों के धरने प्रर्दशन व हड़ताल करने पर रोक लगा दी हैं, तो वहीं दूसरी ओर कर्मचारियों की ओर से लगातार सरकार के खिलाफ धरना करने की धमकी दी जा रही है। अब हिमाचल अनुबंध नियमित कर्मचारी संगठन ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर सरकार बजट में नियुक्ति की तिथि से वरिष्ठता की घोषणा नहीं करती हैं तो फिर बजट सत्र के दौरान ही धरना प्रदर्शन किया जाएगा। इसके लिए सरकार जिम्मेदार होगी।
संघ के प्रदेशाध्यक्ष मुनीष गर्ग और महासचिव अनिल सेन का कहना है कि हिमाचल अनुबंध नियमित कर्मचारी संगठन ने मांग की है कि सरकार भर्ती एवं पदोन्नति नियमों के अंतर्गत नियुक्त कर्मचारियों को नियुक्ति की तिथि से वरिष्ठता देने के वायदे को पूरा करे। भाजपा ने चुनावों से पूर्व अनुबंध नियमित कर्मचारियों से सेनिओरिटी का जो वायदा किया था, उसे चार साल बीत जाने पर भी पूरा नही किया है। चुनावों से पूर्ब पूर्व मुख्यमंत्री प्रोफेसर प्रेम कुमार धूमल ने सत्ता में आते ही सेनिओरिटी कि मांग को पूरा करने का वकयदा किया था। लेकिन अफसोस की बात है कि सत्तासीन होने पर भाजपा को अपना वायदा याद नही रहा।
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के समक्ष इस मांग को 50 से अधिक बार उठाया जा चुका है।मुख्यमंत्री खुद भी कह चुके हैं कि आपकी यह मांग जायज है।जेसीसी1की बैठक में भी इस मांग पर कमेटी गठन की बात कही गयी,लेकिन उसपर भी कोई कमेटी नही बनी। पूर्व में भी सरकार ने एडहॉक और टेन्योर बेसिस पर नियुक्त कर्मचारियों की सेवाओं को प्रोमोशन के लिए योग्य माना है तो अनुबंध पर दी गई सेवाओं को क्यों योग्य नही माना जा रहा?
नियुक्ति की तिथि से वरिष्ठता ना मिलने से जूनियर कर्मचारी सीनियर होते जा रहे हैं। कर्मचारियों ने कहा कि उनका चयन भर्ती एवम पदोनती नियमों के अनुसार हुआ है इसलिए उनके अनुबंध की सेवा को उनके कुलसेवाकाल में जोड़ा जाना तर्कसंगत है। जब हम पूरे नियमों के अंतर्गत नियुक्त हुए हैं तो सरकार हमे पहले दिन से सरकारी कर्मचारी माने नाकि नियमितीकरण की तिथि से।यह प्रदेश के 70 हजार कर्मचारियों के मान सम्मान से जुड़ा विषय है।
सरकार जल्द इस मांग को पूरा करे। कर्मचारियों का कहना है कि क्या उन्होने कंमिशन पास करके कोई गुनाह किया है जिसकी सजा उनको मिल रही है। पहले तो आधी से कम सैलरी पर काम किया, 2012 का पे रिविजऩ का लाभ भी नही दिया और अब उनकी सेवा की गणना भी नियुक्ति की तिथि से नही की जा रही है। इसके साथ ही वेतन आयोग हैं भी अनुबंध से नियमित कर्मचारियों को ही सबसे अधिक नुकसान हो रहा है।
पंजाब में लागू वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार जहाँ लेक्चरर का इनिसिशनल 47000 है बहीं हिमाचल में लेक्चरर को 43000 पर फिक्स किया गया है ।इसी तरह पंजाब में टीजीटी को 41600 पर फिक्स किया गया है जबकि हिमाचल में टीजीटी को केवल 38100 के इनिसिशनल पर फिक्स किआ गया है। कर्मचारियों की मांग है कि हिमाचल में पंजाब वेतन आयोग की सिफारिशों को पूर्ण रूप से लागू किया जाए।
आखिर हर बार अनुबंध कर्मचारी ही नुकसान की जद में क्यों आएं?
कर्मचारियों का कहना है कि अनुबंध नियमित कर्मचारियों के लिए वेतन आयोग की विसंगतियां तब तक दूर नही होंगी जब तक कर्मचारियों को 2012 के पे रिविजऩ के साथ, 2016 और उसके बाद नियुक्त कर्मचारियों को पंजाब वेतन आयोग के बराबर लाभ नहीं मिलते।
संगठन का कहना है कि इसके साथ सरकार के पास एक अच्छा मौका है सेनियोरोटी की मांग को पूरा करने का, क्योंकि अनुबंध कर्मचारियों को अगर सरकार को सेनिओरिटी के नोशनल बेनिफिट्स भी देने पड़ते हैं तो भी नए पे कॉमिशन के कारण फिर भी उनकी सैलरी इनिशियल तक ही पहुंचेगी। क्योंकि ज्यादातर कर्मचारी 2016 के बाद ही नियमित हुए हैं और इस तरह सरकार को फाइनेंस का बोझ भी नही पड़ेगा और सेनियोरोटी भी दी जा सकेगी।