हर हाथ को काम से क्रिएटिव बने कैदी

हर हाथ को काम से क्रिएटिव बने कैदी
पढ़ाई के साथ सीख रहे व्यवसायिक कार्य
13 ने की ग्रेजुएशन, 8 ने की मॉस्टर डिग्री
केदियों को उत्पादों से करोड़ो का टर्नओवर
कार्नर टीम
हर हाथ को काम योजना से प्रदेश की जेलो के कैदी क्रिएटिव बन रहे है। इस योजना के तहत कैदी जहां व्यवसायिक कार्य को सीख रहे हैं तो वहीं अपनी पढ़ाई भी पूरी कर रहे है। कारावास अवधि का सदुपयोग करके नए-नए कार्य व हुनर सीख रहे है। जिससे जेल से छूटने के उपरांत अपनी न केवल आजीविका अर्जित कर सकें,  अपितु परिवार की देखभाल कर सकें व एक अच्छे नागरिक बन कर देश व समाज के कल्याण में अपनी भूमिका निभाने में भी सक्षम हों तथा दोबारा अपराध की ओर कदम न रखें। पिछले तीन वर्षों के कार्यकाल में हर हाथ को काम योजना के तहत जेलों में बेकरीए कैंटीन, सिलाई, बैल्डिंग, कार वाशिंग, लॉंड्री,  स्पाइस यूनिट, सैलून आदि के नए कार्य आरंभ किए गए हैं तथा पूर्व में शुरू किए गए कार्य जैसे कारपेंटरी, डेयरी फॉर्मिंग व खड्डी शाखा के कार्यों में बढ़ोतरी की है, जिसमें बंदियों को उनकी कार्यक्षमता व रूचि के अनुसार कार्य सिखाया जा रहा है।

बंदी इस तरह नए-नए कार्य सीखने के साथ-साथ आय भी अर्जित कर रहे हैं। गंभीर बीमारी की स्थिति में कैदियों को जिला अस्पतालोंए इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज शिमलाए पीजीआई चंडीगढ़ और नई दिल्ली स्थित अस्पतालों में भेजा जाता है। इसके अतिरिक्त हिमाचल प्रदेश जेल विभाग देश का एकमात्र विभाग है, जहां पिछले तीन वर्षों के दौरान कैदियों की एचआईवी और टीबी प्रोफाइलिंग सुविधा प्रदान की है। सभी जेलों में कुल 23 एचआइवी शिविर आयोजित किए गए हैं, जिनमें 2013 कैदियों का परीक्षण किया गया। जेलों में क्षय रोग के उन्मूलन के लिए कैदियों की तपेदिक की नियमित जांच की जा रही है। पिछले तीन वर्षों के दौरान हिमाचल प्रदेश की सभी जेलों में खून टैस्ट करने के लिए प्रयोगशालाएं भी स्थापित की गई हैं, ताकि कैदियों को समय पर चिकित्सा सुविधा प्राप्त हो सके तथा उन्हें जेल से बाहर भेजने पर होने वाले व्यय व अन्य असुविधा से बचा जा सके। हिमाचल प्रदेश की जेलों में पहली बार इसी वर्ष जून 2020 में कंडा जेल में डेंटल हेल्थ क्लीनिक भी स्थापित किया हैए अन्य तीन बड़ी जेलों में जहां पर कैदियों की संख्या अपेक्षाकृत अधिक रहती है, वहां भी इसी तरह के डेंटल हेल्थ क्लीनिक स्थापित जा रहे हैं।  हर हाथ को काम परियोजना के तहत विभाग मुक्त कारागार कैदियों को जेलों की परिधि से बाहर निजी उद्यमों में काम करने की अनुमति देकर उनके लिए नौकरी कार्य प्राप्त करने की सुविधा भी दे रहा है। वर्तमान में इस परियोजना के तहत 04 महिलाओं सहित 146 कैदी मजदूरी अर्जित कर रहे हैं।
बॉक्स:
किस वर्ष कितनी कमाई
2017-18 में तीन करोड़ 24 लाख रुपये
2018-19 में तीन करोड़ 58 लाख रुपये
2019-20 में चार करोड़ 68 लाख रुपय
2018-19 में एक करोड़ 19 लाख रुपये
2019-20 में एक करोड़ 48 लाख रुपये
इतने कैदियों ने पूरी की पढ़ाई
बंदियों को शिक्षित करने के उद्देश्य से जेलों में इग्नु सेंटर खोले गए हैं। वर्ष 2017-18 में 106 कैदियों ने शिक्षा हासिल की। इनमें से 85 कैदियों ने जमा दो,18 ने स्नातक और 03 ने स्नातकोत्तर में शिक्षा अर्जित की। वर्ष 2018.19 में 88 कैदियों में से 67 ने जमा दोए 13 में स्नातक एवं 08 ने स्नातकोत्तर में शिक्षा अर्जित की। इस समय कुछ कैदी स्नातक एवं जमा दो में पड़ रहे हैं  तथा कुछ कैदियों द्वारा स्नातक की शिक्षा पूरी कर ली गई है।
– रोहित शर्मा – 

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