2 मार्च से स्कूलों में खाना बनाने वाले मिड डे मील कर्मियों के लिए मेडिकल रिपोर्ट जरुरी

नेल पॉलिश लगाने और अगूंठी पहनने पर रोक, बार-बार हाथों को करना होगा सेनेटाइज

राज्य के सरकारी स्कूलों में 2 मार्च से पहली से आठवीं कक्षा के 5 लाख बच्चों के लिए मिड डे मील पकेगा। इसके लिए शिक्षा विभाग की ओर से किस प्रोटोकॉल में खाना बनेगा इसकी गाइडलाइन जारी कर दी गई है। सभी स्कूलों को भी इस बारे में निर्देश जारी कर दिए गए हैं। इसमें खासतौर पर निर्देश दिए गए हैं कि खाना बनाने से पहले पूरे परिसर और किचन को सेनेटाइज करना होगा। इसमें सबसे खास बात ये है कि जो भी मिड डे मील कर्मी खाना बनाएंगे उन्हें अपना मेडिकल करवाना होगा और रिपोर्ट स्कूल में देनी होगी। उसके बाद ही वे खाना बना सकेंगे।

इसके साथ ही इन मिड डे मील कर्मियों की काउंसलिंग भी करवाई जाएगी। इसके साथ ही यह भी तय किया गया है कि इन कर्मचारियों को वैक्सीन की दोनों डोज लगाना अनिवार्य होगा। इसके साथ ही खाना बनाने समय किसी भी प्रकार की अंगूठी या चूडिय़ां आदि पहनने पर भी रोक लगा दी गई है साथ ही नाखून में नेल पॉलिश भी नहीं लगा होना चाहिए। खाना बनाते समय हाथों को अच्छे ढंग से सेनेटाइज करना होगा। मार्च से सरकारी स्कूलों में दो साल बाद मिड डे मील पकेगा।

पहली से आठवीं कक्षा तक के सवा पांच लाख छात्रों को इसका फायदा मिलेगा। कोविड की वजह से पिछले दो सालों से छात्रों को दोपहर को पक्का हुआ खाना नहीं मिल रहा है। सरकार ने स्कूलों में खाना परोसने पर रोक लगाई थी। पहले बीच में जब छोटे बच्चों के लिए स्कूल खोले गए थे, तो इस दौरान घर से बच्चों को लंच लाने को कहा गया था। इसके साथ ही मिड डे मील के तहत मिलने वाले राशन को सूखा घर तक पहुंचाया जा रहा था।

पिछले दो सालों से अभिभावक स्कूलों से चावल, दाल, नमक व अन्य खाद्य वस्तुओं को हर माह लेकर जाते थे। अब सरकार के आदेशों पर शिक्षा विभाग स्कूलों को निर्देश जारी कर दिए हैं। कोविड प्रोटोकोल के तहत दोपहर का भोजन स्कूलों में पकेगा। इस दौरान यह ध्यान रखना होगा कि वर्कर के नाखून बड़े न हो। वहीं बाल को भी बांध कर रखना होगा, धाटू पहनना अनिवार्य होगा। इसके साथ ही खाना बनाते समय हाथों में चुडिय़ा पहनने पर भी मनाही की गई है।

हर छात्र के लिए राशन निर्धारित
स्कूलों में प्राइमरी स्तर पर प्रति छात्र 100 ग्राम व अप्पर प्राइमरी स्तर पर प्रति छात्र 150 ग्राम चावल दिया जाता है और इसी हिसाब से केंद्र सरकार प्रदेश को प्रति वर्ष 15 हजार मिट्रिक टन चावल का कोटा जारी करती है। मिड डे मील कर्मी स्कूलों में खाना बनाने का काम करते हैं।

स्कूलों में दो मार्च से बच्चों के लिए दोपहर का खाना बनेगा। इसके लिए गाइडलाइन जारी कर दी गई है। कोविड प्रोटोकॉल में ही खाना बनेगा -पंकज ललित, निदेशक, प्रारंभिक शिक्षा विभाग

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