2022 तक आय दोगुनी करने के दावे खोखलें, किसानों-बागवानों को मिली महंगाई

हिमाचल सरकार ने 4 साल पहले किसानों बागवानों की आय को दोगुना करने का लक्ष्य रखा था। किसानों बागवानों की आय में तो कोई बढ़ोत्तरी नहीं हुई हैं, लेकिन किसानों बागवानों को खर्चे जरूर दोगुने हो गए है। कोरोना काल में हुए नुकसान के बाद सरकार ने हर क्षेत्र के लिए राहत दी है। चाहें उद्योग हो, पर्यटन क्षेत्र हो, परिवहन क्षेत्र हो या फिर कर्मचारियों की बात हो। कर्मचारियों के लिए नए पे स्केल भी जारी कर दिया गया हैं, लेकिन किसानों बागवानों के पल्ले सिर्फ महंगाई ही पड़ी है।


किसानों बागवानों का कहना है कि हर साल खाद व कीटनाशकों के दामों में बढ़ोत्तरी हो रही है। कोविड काल से पहले जहां म्यूटेंट पोटाश जहां 1050 रुपए में मिलती थी, तो वहीं अब इसकी कीमत बढ़कर 1750 हो गई है। वहीं कैल्शियम नाइट्रेट जहां 1000 से 1150 तक मिलती थी, तो वहीं अब इसकी कीमत बढ़कर 1500 से 1700 तक हो गई है। कार्टन के दामों में भी हर साल बढ़ोत्तरी हो रही है। काम्पलेक्स के दामों में 400 रुपए की बढ़ोत्तरी हुई है। कॉपर के रेट भी काफी ज्यादा बढ़ गए है। कार्टन पर ही 18 प्रतिशत तक जीएसटी लग रहा है।

ऐसे में किसानों व बागवानों के लिए खेती अब घाटे का सौदा हो गई है। किसान बागवान बताते हैं कि स्थिति यही रही तो आने वाले कुछ सालों में हिमाचल में बागवानी समाप्त हो जाएगी। हिमफैड व एचपीएमसी के स्टोर में जहां किसानों को मार्केट रेट से सस्ते दाम मिलने चाहिए थे, तो वहीं इन स्टोर में मिलने वाली खाद व अन्य उपकरण मार्केट रेट से महंगे मिल रहे हैं। हिमफैड के स्टोर में जहां एचएमओ 2600 रुपए मिल रहा हैं तो मार्केट में इसकी कीमत 2300 रुपए है।

केंद्र के बजट में भी 25 प्रतिशत कटौती: बिष्ट


प्रोग्रेसिव ग्रोवर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष लोकेंद्र सिंह बिष्ट का कहना है कि केंद्र सरकार की ओर से जारी किए गए बजट में भी किसानों व बागवानों के लिए बजट में 25 प्रतिशत की कटौती गई है। किसान बागवान आयकर को छोड़कर बाकी सभी कर अदा कर रहे हैं, लेकिन सरकार से कोई राहत नहीं मिल रही है। हर साल लागत बढ़ रह ही हैं। विदेशी सेब का आयात भी सिरदर्द बना हुआ है। उन्होंने सरकार से मांग उठाई है कि सरकार आने वाले बजट सत्र में किसानों बागवानों के हित में फैसले करे। कीटनाशकों व खादों पर सब्सिडी जारी की जाए। लोन पर भी 5 प्रतिशत की राहत दी जाए।

खतरें में 5 हजार करोड़ की अर्थव्यवस्था


छौहारा एप्पल वेली सोसायटी के अध्यक्ष संजीव ठाकुर कहना है कि बागवानी हिमाचल प्रदेश की अर्थव्यवस्था में 5 हजार करोड़ का योगदान देती हैं। सरकार की अनदेखी के कारण 5 हजार करोड़ रुपए की इकोनॉमी बुरी तरह से प्रभावित हुई है। किसान बागवान बुरी तरह से परेशान है। हर साल मंहगाई बढ़ रही है, किसान बागवानों को सरकार की आरे से कोई राहत नहीं दी जा रही है। कीटनाशकों व खादों पर सब्सिडी समाप्त कर दी गई है। एंटी हेलनट पर मिलने वाली सब्सिडी अभी तक बागवानों को नहीं मिली है। मंडियों में एपीएमसी एक्ट लागू नहीं किया जा रहा है। 2-2 सालों से बागवानों की पेमेंट फंसी हुई हैं और सरकार मूकदर्शक बनी हुई है।



मुआवजा तक नहीं दे पाई सरकार: प्रशांत


यंग एंड यूनाइटेड ग्रोवर्स एसोसिएशन के महासचिव प्रशांत सेहटा का कहना है कि हिमाचल सरकार अपने दावों में खरी नहीं उत्तर पाई है। सरकार के किए हुए सभी दावे फेल हो गए है। किसानों बागवानों को राहत देना तो दूर की बात हैं, सरकार वर्ष 2021 में हुई बर्फबारी से हुए नुकसान का मुआवजा भी अभी तक बागवानों को नहीं दे पाई है। ऐसे में किसानों व बागवानों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। हर साल महंगाई बढ़ रहीं है, आय तो बढ़ नहीं रही हैं, लेकिन महंगाई ने कमर तोड़ दी है। यही हाल रहा है, किसानी बागवानी ज्यादा देर नहीं चलने वाली है।

बागवानों से बात करने को भी राजी नहीं सरकार: हरीश


हिमाचल प्रदेश फल फूल एवं सब्जी उत्पादक संघ के प्रधान हरीश चौहान का कहना है कि सरकार किसानों बागवानों से बात करने को भी तैयार नहीं हैं। किसानों बागवानों ने अपनी मांगों को पूरा करने लिए संयुक्त किसान मोर्चा का गठन किया था। किसान बागवान सरकार से बात करने की बार बार समय मांग रहें हैं, लेकिन सरकार किसानों बागवानों से बातचीत करने के लिए राजी नहीं है। बजट सत्र से पहले किसानों बागवानों के साथ प्री बजट बैठक होती थी। इसमें किसानों बागवानों की भी राय ली जाती थी, लेकिन इस बार यह बैठक भी नहीं हुई है। सरकार सीधे तौर पर किसानों बागवानों की अनदेखी कर रही है।

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