चुनावी वादों के लिए कहां से आएगा पैसा, पार्टियों को देना होगा हिसाब

चुनावों के दौरान राजनैतिक पार्टियों द्वारा किए जाने वालों चुनावी वादों का हिसाब मांगा जाएगा। इस संदर्भ में चुनाव आयोग ने मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय व क्षेत्रीय दलों को पत्र लिखा हैं। पत्र के साथ एक परफोर्मा भी अटैच किया गया है। इस पत्र में लिखा गया हैं कि कि सिर्फ वादों से काम नहीं चलेगा, ये भी बताना होगा कि वे पूरा कैसे होंगे, उसके लिए पैसे कहां से आएंगे। इस पर चुनाव आयोग ने 19 अक्तूबर तक सभी दलों से राय मांगी हैं। राजनैतिक दलों की राय के बाद चुनाव आयोग इस पर अंतिम फैसला लेगा।


चुनाव आयोग के अधिकारियों का कहना है कि हिमाचल प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनावों के दौरान यह व्यवस्था लागू होगी या नहीं। इस पर अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ हैं। 19 अक्तूबर के बाद चुनाव आयोग की ओर से इस पर फैसला लिया जाएगा। हिमाचल प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए प्रदेश में जल्द ही आदर्श आचार संहिता लगने वाली हैं। 8 जनवरी से पहले हिमाचल प्रदेश में नई सरकार का गठन होना हैं।

ऐसे में अक्तूबर नवंबर व दिसंबर माह में चुनावी प्रक्रिया पूरी की जानी हैं। अगर इस बीच चुनाव आयोग से राजनैतिक पार्टियों के चुनावी वादों के हिसाब पर कोई फैसला ले लिया जाता हैं, तो फिर हिमाचल में होने वाले चुनावों में भी राजनैतिक पार्टियों को चुनावी वादों का हिसाब देना पड़ सकता हैं। चुनाव आयोग ने राजनैतिक पार्टियों को जो परफोरमा जारी किया गया है। उसमें कहा गया है कि राजनीतिक दल अगर कोई चुनावी वादा करते हैं तो उन्हें साथ में यह भी बताना होगा कि अगर वह सत्ता में आते हैं तो वादे को कैसे पूरा करेंगे। इस पर कितना खर्च आएगा। पैसे कहां से आएंगे, इसके लिए वे टैक्स बढ़ाएंगे या नॉन-टैक्स रेवेन्यू को बढ़ाएंगे, स्कीम के लिए अतिरिक्त कर्ज लेंगे या कोई और तरीका अपनाएंगे। चुनाव घोषणा पत्र में एक तयशुदा प्रोफॉर्मा होगा जिसमें पार्टियों के चुनावी वादें तो होंगे ही, साथ में वे कैसे पूरे होंगे, इसका भी डीटेल देना होगा। पार्टियों को बताना होगा की राज्य की वित्तीय सेहत को देखते हुए उन वादों को कैसे पूरा किया जाएगा।


चुनाव आयोग का कहना है कि इस तरह की सूचनाएं होने से वोटर राजनीतिक दलों के वादों की तुलना करके सही फैसला कर सकता है। इसे अनिवार्य बनाने के लिए आयोग आदर्श आचार संहिता में जरूरी बदलाव की योजना बना रहा है। आयोग ने 19 अक्टूबर तक इस पर राजनीतिक दलों से सुझाव मांगे हैं। उसने लेटर में कहा है कि मैनिफेस्टो तैयार करना राजनीतिक दलों का अधिकार है लेकिन वह कुछ वैसे वादों को नजरअंदाज नहीं कर सकता जिनका स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।

हिमाचल में पार्टियों ने किए यह वादें
हिमाचल प्रदेश में चुनावी प्रक्रिया शुरू होने से पहले राजनैतिक दलों ने लोगों को रिझाने के लिए घोषणाएं शुरू कर दी हैं। आम आदमी पार्टी ने बेरोजगारों को 3 हजार रुपए मासिक बेरोजगारी भत्ता, 6 लाख लोगों को सरकारी क्षेत्र में रोजगार जैसी घोषणाएं की हैं। वहीं कांग्रेस पार्टी ने पुरानी पैंशन व महिलाओं को हर महीनें 1500 रुपए की घोषणा की हैं। वहीं भाजपा ने अभी अपना दृष्टिपत्र जारी नहीं किया हैं। दृष्टिपत्र जारी होने के बाद भाजपा की चुनावी घोषणाओं का पता चल पाएगा।
कोट:
चुनावी वादों पर केंद्रीय स्तर पर चर्चा की जा रही हैं। 19 अक्तूबर तक राजनैतिक दलों के राय मांगी गई हैं। इसके बाद केंद्रीय स्तर इसमें फैसला लिया जाएगा। हिमाचल में होने वाले विधानसभा चुनावों में पार्टियों को चुनावी वादों का हिसाब देना पड़ेगा या नहीं। केंद्र के निर्णय के बाद यह तय होगा।
-मनीष गर्ग, मुख्य चुनाव अधिकारी, हिमाचल प्रदेश

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