बाजार से भी मंहगी हुई हिमफैड की दुकानें

हिमाचल में हिमफैड की दुकानें बाजार से भी मंहगी हो गई है। हिमफैड की दुकानों में बागवानों के साथ लूट हो रही है। एमआईएस के तहत बागवानों से खरीदे गए सेब की पेमेंट करने से हिमफैड ने मना कर दिया है। पैमेंट के बदले में बागवानों को किसानी बागवानी में प्रयोग होने वाले उत्पाद दिए जा रहे हैं। वह भी बाजार से ज्यादा दामों पर। बागवानों को मजबूरी में हिमफैड की दुकानों से ही उत्पाद खरीदने पड़ रहे हैं।

आलम यह है कि बाजार में कैल्शियम नाइट्रेट 1450 रुपए में बिक रही हैं। वहीं हिमफैड के दुकानों में इसका रेट 1700 हो गया है। साथ में 5 रुपए लेबर फीस के नाम पर वसूले जा रहे हैं। वहीं हॉर्टीकल्चर मिनरल ऑयल भी बाजार से काफी महंगा है। बाजार में एचएमओ यानि हॉटीकल्चर मिनरल ऑयल जहां 2300 रुपए में बिक रहा हैं, तो वहीं हिमफैड की दुकानों में इसकी कीमत 2600 रुपए है।

वहीं म्यूटरेट ऑफ पोटाश बाजार में 1500 रुपए में मिल रहा हैं तो वहीं हिमफैड की दुकानों में इसकी कीमत है। 1700 रुपए है। पॉवर स्पेयर बाजार में 25 हजार रुपए तक उपलब्ध हैं, हिमफैड की दुकानों में इसका रेट 28 हजार रुपए है। सरकार की ओर से खोली गई दुकानों में जहां किसानों बागवानों को सस्ती दरों उत्पाद उपलब्ध होने चाहिए थे, तो वहीं इन दुकानों में महंगी दरों पर बागवानों को उत्पाद मिल रहे हैं।

बागवानों की मजबूरी यह है कि उन्हें पैसे की एवज में हिमफैड की दुकानों से ही यह उत्पाद खरीदने पड़ रहे हैं। एक ओर जहां सरकार की ओर से किसानों बागवानों की आय को दोगुना करने के दावे किए जा रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर किसानों बागवानों के खर्चे बढ़ाने का काम सरकारी एजेंसियां कर रही है।

क्या कहते हैं बागवान
छौहारा एप्पल वैली सोसायटी के अध्यक्ष संजीव ठाकुर, यंग एंड यूनाइटेड ग्रोवर्स एसोसिएशन के महासचिव प्रशांत सेहटा, प्रोग्रेसिव गोवर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष लोकेंद्र सिंह बिष्ट, ठियोग के बागवान सुरेश, राहुल और विवेक का कहना है कि हिमफैड की दुकानों में मनमाने दाम वसूले जा रहे हैं। मंहगाई हर साल बढ़ती जा रही है। बागवानी की लागत बढ़ रही है। आय कम हो रही है। एक और महंगाई तो दूसरी और मौसम की मार से किसान बागवान परेशान है। सरकार ने पिछले साल के नुकसान का मुआवजा अभी तक नहीं दिया है। हाल यही रहे तो बागवानी छोडऩी पड़ेगी।

आय दोगुनी करना सिर्फ जुमला
जुब्बल नावर कोटखाई विधानसभा क्षेत्र के विधायक रोहित ठाकुर कहना है कि सरकार ने किसानों बागवानों की 2022 तक किसानों बागवानों की आय दोगुनी करने की बात कही थी, लेकिन यह भी जुमला ही निकला। आय तो बढ़ी नहीं खर्च दोगुने हो गए। केंद्र सरकार ने इस उर्वरक पर मिलने वाली सब्सिडी को 35 प्रतिशत कम कर दिया है, हिमफैड की दुकानों में बागवानों की मजबूरी का फायदा उठाया है। सरकार बात करती है कि कि किसान हितैषी हैं, लेकिन सरकार के रवैये से साफ जाहिर है कि केंद्र व प्रदेश में भाजपा की डबल ईंजन सरकार किसान व बागवान विरोधी है। सरकार की कथनी और करनी में अंतर है।

क्या कहते हैं हिमफैड अध्यक्ष
हिमफैड के अध्यक्ष गणेश दत्त का कहना है कि हिमफैड की दुकानों में जो उत्पाद बिक रहे हैं। वह भारत सरकार द्वारा निर्धारित की गई कंपनियों से खरीदे जा रहे हैं। इन उत्पादों के रेट भारत सरकार द्वारा निर्धारित किए जाते हैं।

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