हिमाचल सरकार नई ऊर्जा नीति बनाने पर कर रही विचार

हिमाचल सरकार जलविद्युत परियोजनाओं के लिए प्रदेश में नई ऊर्जा नीति बनाने पर विचार कर रही है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने ऊर्जा विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की। मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस सरकार प्रदेश की विभिन्न जलविद्युत परियोजनाओं में हिमाचल प्रदेश की हिस्सेदारी बढ़ाने के उद्देश्य से नई ऊर्जा नीति बनाने पर विचार कर रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि नई नीति के तहत भविष्य में मुफ्त बिजली रायल्टी में मोहलत का प्रावधान पूरी तरह समाप्त कर दिया जाएगा। साथ ही पूर्व में दी गई छूट को समाप्त करने पर विचार किया जाएगा। वहीॆ जिन परियोजनाओं की लागत वसूल हो गई है, उनमें राज्य की हिस्सेदारी बढ़ाने के प्रयास किए जाएंगे। जिसके लिए केंद्र सरकार और अन्य सार्वजनिक उपक्रमों से पत्राचार किया जाएगा।

सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बताया कि भविष्य की जलविद्युत परियोजनाओं के लिए सरकार की नीति के अनुसार जमीन चालीस वर्ष के पट्टे पर दी जाएगी। साथ ही जल विद्युत परियोजनाओं की स्थापना के लिए पूर्व-कार्यान्वयन और इसके समझौतों पर हस्ताक्षर नहीं करने के लिए केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों को गंभीरता से लिया। वहीं ऊर्जा विभाग को नोटिस जारी करने के निर्देश दिए।

प्रदेश में कितनी परियोजनाएं हैं निर्माणाधीन ?

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में 11149.50 मेगावॉट क्षमता की 172 जलविद्युत परियोजनाएं कार्यशील हो चुकी हैं। जबकि 2454 मेगावाट क्षमता की 58 परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं। इसके अलावा राज्य सरकार ने इस वर्ष 500 मेगावाट सौर ऊर्जा परियोजनाएं शुरू करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। जिनके निर्माणकार्यों में तेजी लीने के लिए ऊर्जा निदेशालय को सुदृढ़ किया जाएगा साथ ही विभाग की कार्यप्रणाली में सुधार के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का भी इस्तेमाल किया जाएगा।

सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि कई जलविद्युत परियोजनाओं ने एक बार की माफी लेने के बावजूद निर्माण कार्य शुरू नहीं किया है। ऐसे में इन परियोजनाओं का आवंटन तत्काल रद्द किया जाना चाहिए और इनका पुनः विज्ञापन प्रकाशित किया जाना चाहिए। वहीं प्रदेश के राजस्व अर्जन में किसी भी तरह के नुकसान से समझौता नहीं किया जाएगा।

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