एचआरटीसी बीओडी में हुए फैसलों से कर्मचारी निराश

बीओडी में नहीं लगा कर्मचारियों की वित्तीय मांगों का मामलाकर्मचारी बोले, क्या लोन लेकर बसें खरीदने के लिए बुलाई थी बीओडएचआरटीसी की बीओडी में लिए गए फैसलों से …

बीओडी में नहीं लगा कर्मचारियों की वित्तीय मांगों का मामला
कर्मचारी बोले, क्या लोन लेकर बसें खरीदने के लिए बुलाई थी बीओड

एचआरटीसी की बीओडी में लिए गए फैसलों से कर्मचारी नाखुश है। कर्मचारियों का कहना है कि इस बैठक में कर्मचारियों के वित्तीय भुगतानों की अदायगी से संबंधित एक भी मामला नहीं लगा था। इससे कर्मचारियों में भारी रोष है। कर्मचारियों का कहना है कि क्या एचआरटीसी प्रशासन ने बीओडी की बैठक सिर्फ लोन पर नई बसें खरीदनें के लिए बुलाई थी?

हिमाचल परिवहन कर्मचारी संयुक्त समन्वय समिति के अध्यक्ष समर चौहान, उपाध्यक्ष पूर्ण चंद शर्मा, सचिव खेमेन्द्र गुप्ता, प्रवक्ता संजय कुमार, कोषाध्यक्ष जगदीश चंद एवम् सर्व हितेंद्र कंवर, गोपाल लाल, देवी चंद, देस राज, राय सिंह, धनी राम, सुख राम, प्रेम सिंह, अनित कुमार, ऋषि लाल, संजीव कुमार, नवल किशोर, टेकचंद, विजय कुमार, यशपाल सुल्तानपुरी, सुशील कपरेट, दलीप शर्मा ने संयुक्त ब्यान में कहा है कि गत दिवस एचआरटीसी निदेशक मंडल की बैठक से निगम कर्मचारियों को निराशा हाथ लगी है। कर्मचारी बहुत लंबे समय से अपने देय वित्तीय भुगतानों की अदायगी की आस लगाए बैठे थे परंतु इससे संबंधित एक मामला बैठक में नहीं उठाया गया। जिससे कर्मचारियों में भारी रोष है। क्या यह बैठक केवल लोन लेकर मात्र नई बसें खरीदने के लिए बुलाई गई थी? निगम में पहले ही बसों का भारी भरकम बेड़ा उपलब्ध है। जिनमें से सैंकड़ो बसें अभी भी बिना प्रयोग के वर्षो से खड़ी है। पहले इन खड़ी बसों को संपूर्ण उपयोग में लाने की योजना पर कार्य किया जाना चाहिए था।

नई बसें खरीद कर बेड़े में वृद्धि तो की जा रही है और नए डिपो भी राजनीतिक उद्देश्य के लिए धड़ाधड़ खोले जा रहे हैं। परंतु मूलभूत संसाधन तथा सुविधाओं के नाम पर वर्तमान संसाधनों के धागे को ही खींचा जा रहा है। परिवहन मंत्री ने स्वयं माना कि एचआरटीसी की 90 प्रतिशत बसें घाटे में जनहित में चलाई जा रही है। इस घाटे के लिए कर्मचारियों को उनके हकों से वंचित किया जा रहा है। क्या घाटे के लिए कर्मचारियों को भूखे पेट कार्य करने को मजबूर किया जा सकता है? परिवहन मंत्री मानते है कि यह परिवहन निगम (एचआरटीसी) जनहित में कार्य कर रहा है तो एचआरटीसी को भी अन्य जनहित में चलाए जा रहे विभागों की भांति विभाग का दर्जा देकर रोडवेज बना दिया जाना चाहिए। ताकि कर्मचारियों के देय वित्तीय लाभों की अदायगी समयानुसार की जा सके।

जल्द करें वित्तीय भुगतानों की अदायगी
कर्मचारियों के वित्तीय लाभों में अभी भी चालकों-परिचालकों के 36 महीनों के नाइट ओवरटाइम की अदायगी, वर्ष 2018 से लंबित कर्मचारियों के डीए का एरियर, अनुबंध पर कार्यकाल पूरा कर चुके कर्मचारियों को नियमित करना, चालकों को 9880 का वेतनमान बहाल करना, पेंशन के लिए प्रदेश सरकार के बजट में प्रावधान करना तथा विभिन्न श्रेणियों की वेतन विसंगतियों को दूर कर पंजाब पद्धति के अनुसार छठे वेतन आयोग की सिफारिशों का लाभ एचआरटीसी के कर्मचारियों को शीघ्र देना इत्यादि अनेक मांगे ज्यों की ज्यों लम्बित पड़ी है।

संयुक्त समन्वय समिति पदेश सरकार व निगम प्रबंधन से मांग करती है कि कर्मचारियों की सभी मांगों को शीघ्र पूरा किया जाए अन्यथा एचआरटीसी का कर्मचारी अपनी मांगों को मनवाने के लिए किसी भी प्रकार के आन्दोलन करने को मजबूर होगा। जिससे होने वाली किसी भी प्रकार की हानि के लिए सरकार व निगम प्रबंधन जिम्मेवार होंगे। समन्वय समिति शीघ्र ही बैठक कर आगामी निर्णय लेगी।

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