World Happiness Report 2022: खुशहाल देशों की सूची जारी, भारत 136वें स्थान पर

खुशहाल देशों की सूची संयुक्त राष्ट्र की तरफ से जारी कर दी गई है। विश्व प्रसन्नता सूची 2022 (World Happiness Report 2022) के इस सूची में कुल 146 देशों को शामिल किया गया है। 146 देशों की इस लिस्ट में भारत का स्थान 136वां है वहीं इस सूची में फिनलैंड लगातार 5वें साल नबंर 1 पर बना हुआ है। तालिबानी हुकूमत से जूझ रहा अफगानिस्तान सबसे नाखुश देश है। World Happiness Report 2022 को संयुक्त राष्ट्र स्थायी विकास उपाय नेटवर्क की तरफ से जारी किया गया है। इस लिस्ट को तैयार करने में कोविड-19 से लोगों पर पड़ने वाले असर पर भी ध्यान दिया गया है।

संयुक्त राष्ट्र की एनुअल हैप्पीनेस इंडेक्स (Annual Happiness Index) के मुताबिक, फिनलैंड, डेनमार्क, आइसलैंड, स्विटजरलैंड और नीदरलैंड दुनिया के टॉप 5 में खुशहाल देशों में शामिल हैं। दुनिया के खुशहाल देशों में सबसे ताकतवर देश अमेरिका 16वें पायदान पर है, जबकि ब्रिटेन का नंबर उसके बाद 17वें पायदान पर आता है। वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट में सर्बिया, रोमानिया, बुल्गारिया की रैंकिंग में काफी सुधार आया है और यहां जीवन जीने में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी हुई है। वहीं लेबनान, वेनेजुएला और अफगानिस्तान की रैंक में सबसे ज्यादा गिरावट आई है।

भारत की रैंकिंग में सुधार लेकिन पड़ोसी देशों से है अब भी पीछे

वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट में भारत ने अपनी रैंकिंग में सुधार कर 136वां स्थान पाया है, पिछले साल इस लिस्ट में भारत का नंबर 139वां था, इस बार तीन पायदान का सुधार हुआ है उसके बाद भी भारत अपने पड़ोसी देशों से पीछे है। पड़ोसियों में सबसे खुशहाल देश नेपाल है जिससी रैकिंग 84 है वहीं बंगलादेश का स्थान 94वां है। पाकिस्तान 121वे तो श्रीलांका की रैकिंग 127वां है। चीन का स्थान 72वां है।

खुशहाली के लिए क्या है जरूरी?

इस रिपोर्ट के सह लेखक जेफरी सैक्स के मुताबिक, सालों से वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट का बनाने के बाद यह सीख मिली है कि सोशल सपार्ट, उदारता, गवर्नमेंट की ईमानदारी खुशहाली के लिए बेहद जरूरी है। विश्व के नेताओं को इन बातों का ध्यान रखना चाहिए। रिपोर्ट तैयार करनेवालों ने कोरोना के पहले और बाद के समय का इस्तेमाल किया है, जिस दौरान सरकारों के प्रति लोगों की भावनाएं महत्व रखती है। लोगों की भावनाओं की तुलना करने के लिए सोशल मीडिया डेटा भी लिया गया।18 देशों में चिंता और उदासी बढ़ी, जबकि आक्रोश की भावनाएं कम हुई है।

Total
0
Shares
Related Posts
Total
0
Share