आचार संहिता में विशेष अनुमति पर ही पास होगा मनरेगा शेल्फ

हिमाचल में आगामी विधानसभा चुनावों का ऐलान कभी भी हो सकता हैं। विधानसभा चुनावों का ऐलान होते ही प्रदेश में आदर्श आचार संहिता लागू हो जाएगी। आचार संहिता के कारण प्रदेश में विकासात्मक कार्यो पर रोक लग जाएगी। पंचायतों में होने वाले विकास कार्यो पर भी आचार संहिता का असर रहेगा। पंचायतों में ग्राम सभाएं तो होगी, लेकिन कोई भी नया कार्य नहीं हो पाएगा। सिर्फ पहले से चल रहे कार्यो ही जारी रहेंगे। मनरेगा के तहत होने वाले कामों पर भी आचार संहिता के कारण रोक लग जाएगी। आचार संहिता में मनरेगा का शेल्फ भी पास नहीं हो पाएगा।


विशेष स्थिति में मनरेगा का शेल्फ पास करवाने के लिए आचार संहिता की अनुमित लेना जरूरी होगा। अगर चुनाव आयोग अनुमति देता हैं तो फिर मनरेगा का शेल्फ पास हो जाएगा, नहीं तो चुनावों के बाद ही मनरेगा का शेल्फ पास होगा। गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा के तहत कई प्रकार के विकासत्क कार्य किए जाते हैं। खासकर अक्तूबर नवंबर और दिसंबर माह में मनरेगा का काम ज्यादा होता हैं।

ऐसे में इन महीनों में चुनाव आचार संहिता लागू हो जाएगी, जिसके कारण इन कामों पर रोक लग जाएगी। प्रदेश मेें मनरेगा के तहत रास्ते बनाना, भूमि सुधार, डंगे का काम, पानी के टैंक बनाना और सड़क निर्माण जैसे काम किए जाते हैं। मनरेगा के अलावा पंचायतों में होने वाले अन्य कामों भी प्रभावित होंगे। मनरेगा के अलावा विभिन्न प्रकार के विकासात्मक कार्याे का शेल्फ तैयार किया जाता हैं। यह शेल्फ भी आदर्श आचार संहिता के कारण नहीं हो पाएगा।

लाखों लोगों को मनरेगा से रोजगार
वर्ष 2020-21 में मनरेगा के अन्तर्गत 330 लाख कार्य दिवसों के विरुद्ध 336.10 लाख कार्य दिवस अर्जित किए गए और 988.95 करोड़ रुपये की धनराशि व्यय की गई। इसी तरह से वर्ष 2021-22 में 343 लाख लक्षित कार्य दिवसों के विपरीत 370.87 लाख कार्य दिवस अर्जित किए गए और 1091.31 करोड़ रुपये की धनराशि व्यय की गई। वर्ष 2020-21 में मनरेगा के अन्तर्गत 6.36 लाख परिवारों को रोजगार उपलब्ध करवाया गया। वर्ष 2021-22 में 7.07 लाख परिवारों को रोजगार उपलब्ध करवाया गया। उन्होंने कहा कि मनरेगा के अन्तर्गत वर्ष 2020-21 में 75 हजार 814 कार्य पूर्ण किए गए।

डीसी ऑफिस में भी भीड़
हिमाचल प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनावों के लिए लगने वाली आदर्श आचार संहिता से पहले सभी जिला उपायुक्त कार्यालयों में भी पंचायतों से आए प्रतिनिधियों की भीड़ बढऩे लगी हैं। पंचायत प्रतिनिधि डीसी ऑफिस में पेडिंग पड़े प्रस्तावों को अप्रूव करवाने के लिए पंचायत प्रतिनिधियों की संख्या बढऩे लगी हैं, ताकि आचार संहिता लगने से पहले इन प्रस्तावों को अनुमति मिल सके।

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