सेब उत्पादन बढ़ाने को पुरानी सोच बदलने की आवश्यकता, आधुनिकी करण जरूरी

क शिक्षक की सोच से

हिमाचल प्रदेश में देवी देवताओं का वास है इसलिए इसे देवभूमी के नाम से जाना जाता है। हिमाचल प्रदेश अपनी प्राकृतिक छटा शांतप्रियता सादगी एवं कला संस्कृति के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है। अपनी प्राकृतिक सुन्दरता के कारण यह प्रदेश पर्यटन की दृष्टि से विश्व पटल पर है और पूरे वर्ष यहां पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है। यहां पर पर्यटन क्षेत्र की अपार संभावनाएं हैं और सरकार उभारने में प्रयासत है जिससे यहां के लोगों को रोजगार मिले एवं प्रदेश की आर्थिकी में भी इजाफा हो।

जहां हिमाचल प्रदेश अपनी प्राकृतिक छटा एवं पर्यटन की दृष्टि से विश्व में विख्यात है वहीं हिमाचल अपने फलों एवं बागवानी के लिए भी पूरे देश एवं विश्व में प्रसिद्ध है। फलों की दृष्टि से हिमाचल प्रदेश पूरे विश्व में सेब के नाम से जाना जाता है। सेब जहां शारीरिक स्वास्थय के लिए उत्तम है वहीं हिमाचल प्रदेश की आर्थिकी को सुदृढ़ का एक महत्वपूर्ण साधन है। कोरोना काल में भी सेब ने ही हिमाचल की आर्थिकी को एक मतबूत सहारा दिया। मुख्य रूप से सेब हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी जिलों शिमला किन्नौर कुल्लू मंडी एवं चंबा में उत्पादित किया जाता है।

सेब के उत्पादन में बागवानों को जिन कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है एवं जिस लागत उसे उत्पादन करने में वहन किया जाता है यदि वह लागत ही उसे प्राप्त न हो निराश होना स्वभाविक है और यही समस्या बागवानों को प्रतिवर्ष झेलनी पड़ रही है। उत्पादक क्षमता प्रतिवर्ष कभी ज्यादा एवं कभी कम भले ही हो लेकिन इसके निवारण के लिए आधरभूत संरचना तैयार करनी होगी क्योंकि सेब से हिमाचल प्रदेश की आर्थिकी में अहम स्थान है।

सेब से जहां हिमाचल प्रदेश की आर्थिकी को बढ़ावा मिल रहा है। वही इसके पीछे देश भर के हजारों लाखों लोगों को रोजगार भी मिल रहा है। एक शिक्षक की सोच से यदि सेब से प्रदेश की आर्थिकी बढ़ाने में अहम भूमिका है और सेब एवं प्रदेश में लाखों लागों को रोजगार दे रहा है तो क्यों न एक सेब उत्पादक बागवान को उसकी लागत से उसे उसकी उत्पादकता का उचित मूल्य मिले इसके लिए सरकार के पास अभी तक सेब विधायन भंडारन एवं गुणवतापूर्ण फलों को उत्पादन करने के जो संसाधन है उसे बढाना आवश्यक है और उसका आधुनिकरण करना आवश्यक है।

इसके लिए सरकार मार्केटिग बोर्ड ए पी एम सी कि सान संघों के प्रतिनिधी प्रगतिशील बागवान एवं बागवानी विशेषज्ञों का संयुक्त रूप से एक समूह तैयार किया जाए जो बागवानी को बढ़ावा देने के लिए आधुनिकी के साथ विधायन केंद्र खोलने एवं विषेशता एवं कोल्ड भंडारण क्षमताओं को बढ़ाने के लिए कार्य करे, जिससे सेब उत्पादक बागवान या अन्य फलों को का उत्पादन करने वाला बागवान अपनी फसल का भंडारण आसानी से कर सके और लागत से Óयादा अपनी आर्थिकी मजबूत कर सके। यह आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के लिए प्रत्येक बागवान को आत्मनिर्भर बागवान बनाने के लिए अहम कदम होगा, जिससे बागवानों एवं सेब उत्पादकों की आर्थिकी बढ़ेगा। साथ ही बागवान सेब बागवान बिचौलियों के शोषण से भी बचेगा।

कैलाश सिंह शर्मा, शिक्षक
यह लेखक के निजी विचार है

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