जिला परिषद मर्जर पर कमेटी की दूसरी बैठक तय

जिला परिषद काडर के करीब 4500 कर्मचारियों के मर्जर के लिए बनाई गई 5 सदस्यीय कमेटी की दूसरी बैठक तय हो गई हैं। यह बैठक में 13 सिंतबर को निदेशक पंचायतीराज की अध्यक्षता में निदेशालय में होगी। जिला परिषद काडर 73वें संशोधन के तहत अस्तित्व में आया था। इस विभाग के ज्यादात्तर कर्मचारी पंचायतीराज विभाग अधीन काम कर रहे हैं, लेकिन यह पंचायतीराज विभाग के कर्मचारी नहीं हैं। ऐसे में यह कर्मचारी मांग कर रहे हैं कि इन कर्मचारियों को पंचायतीराज विभाग में मर्ज किया जाए।


इनके मर्जर के लिए बनी 5 सदस्यीय कमेटी की पहली बैठक 18 जुलाई को हुई थी। इस बैठक के दौरान कर्मचारियों के प्रतिनिधियों ने विभाग के अधिकारियों को सुझाव दिए थे कि कैसे इन कर्मचारियों को पंचायतीराज विभाग में मर्ज किया जा सकता हैं। साथ ही जिन राज्यों में जिला परिषद काडर के कर्मचारियों को अन्य विभागों में मर्ज किया गया हैं, उनके दस्तावेज भी विभाग को दिए गए हैं। ऐसे में अब उम्मीद जताई जा रही हैें कि जिला परिषद कर्मचारियों के मर्जर को लेकर जरूर कोई रास्ता निकाला जाएगा।


गौरतलब है कि जिला परिषद कर्मचारियों ने पंचायतीराज विभाग में मर्ज होने की मांग को लेकर पहले भी काम छोड़ दिया था। इनके काम छोडऩे के बाद पंचायतों में चलने वाले काम बुरी तरह से प्रभावित हो गए थे। इसके बाद सरकार की ओर से इन कर्मचारियों को पंचायतीराज विभाग में मर्ज करने के लिए एक कमेटी गठित की गई थी।

कहा गया था कि यह कमेटी निदेशक पंचायतीराज विभाग की अध्यक्षता में काम करेगी, वहीं जिला परिषद कर्मचारी व अधिकारी महासंघ से प्रदेशाध्यक्ष खूबेराम दुग्गल, स्टेट प्रेजिडेंट एई एसोसिएशन प्रदीप मेहता, पंचायत सचिव महासंघ के राज्य सचिव राजेश ठाकुर और जेई यूनियन की अध्यक्ष सुलक्षणा जसवाल को कमेटी में शामिल किया गया था। जिला परिषद काडर के कर्मचारियों को छठे वेतन आयोग का लाभ देने का मामला पंचायतीराज विभाग ने वित्त विभाग को भेज दिया गया हैं।

नहीं मिला छठा वेतन आयोग

जिला परिषद काडर के करीब 4500 कर्मचारियों को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की घोषणा के बाद भी छठा वेतन आयोग नहीं मिला हैं। पंचायतीराज विभाग ने इन कर्मचारियों को छठा वेतन आयोग देने के लिए वित्त विभाग को फाइल भेजी थी, लेकिन यह फाइल अभी तक वित्त विभाग में ही फंसी हुई हैं। ऐसे में इन कर्मचारियों को अभी तक छठा वेतन स्केल नहीं मिल पाया हैं। राज्य वित्तायोग के माध्यम से कर्मचारियों को वेतन प्रदान किया जाता हैं।

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