मोक्षधाम योजना से बदल रही शमशान घाटों की तस्वीर

हिमाचल प्रदेश में परंपरागत रूप से प्रयोग में लाए जा रहे शमशान घाटों में नई सुविधाए विकसित करके इन्हें सनातन परम्परा के अनुरूप सुन्दर बनाया जा रहा है, ताकि अंतिम समय में शव के दाह संस्कार में परिजन एक सुखद माहौल के साथ अपने प्रियजनों का अंतिम संस्कार करते समय परेशानी मुक्त प्रक्रिया का अनुभव कर सके। राज्य सरकार ने राज्य के शमशान घाटों के काया कल्प के लिए ग्रामीण विकास विभाग के तत्वाधान में मोक्षधाम योजना शुरू की है। ताकि शोकाकुल परिजन अपने प्रियजनों के शरीर के पंच तत्वों के विलय की प्रक्रिया को धार्मिक परम्पराओं के अनुरूप निर्विघ्न रूप से कर सकें।


नए मॉडल के मुक्तिधाम स्थल का निर्माण परंपरागत शमशान से कई अर्थों में भिन्न होने के साथ ही स्वच्छता का प्रतीक भी होगा। हिमाचल प्रदेश सरकार ने अपने प्रियजनों के अंतिम संस्कार को धार्मिक विधिविधान तथा निर्विघन रुप से संस्कार स्थल पर सभी पर्याप्त सुविधाऐं प्रदान करने के लिए मोक्षधाम योजना शुरु की है। राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री वीरेंद्र कंवर ने बताया कि योजना के अन्तर्गत परंपरागत तौर पर प्रयोग किये जा रहे शमशान घाटों में आधुनिक सुविधाएं विकसित की जा रही हैं ताकि अन्तिम संस्कार में भाग ले रहे लोगों को बैठने, स्वच्छ जल तथा छायादार स्थल उपलब्ध करवाया जा सके।

राज्य में पिछले पांच वर्षों के दौरान अब तक 1648.99 लाख रुपये खर्च करके 477 शमशान घाटों का पुर्ननिर्माण करके मूलभूत सुविधाएं विकसित की गई हैं। उन्होंने बताया कि आगामी वर्षों के दौरान राज्य में औसतन वार्षिक 100 मोक्षधामों का निर्माण किया जाएगा तथा प्रत्येक मोक्षधाम में अंतिम संस्कार के लिए शैड में छत, बैंच, ग्रीन फेसिंग, रास्ता, स्वच्छ जल तथा उचित लैंडस्केपिंग की जाएगी तथा विद्यमान स्थल घ्यानपूर्वक योजनाबद्ध तरीके से सदुपयोग किया जा सके।

इन मोक्षधामों का निर्माण मनरेगा, योजना आयोग, राज्य योजना के कन्वर्जेन्स में स्थानीय पंचायत द्वारा किया जा रहा है तथा कार्यरत एजेंसी द्वारा तैयार की गई विस्तृत परियोजना रिपोर्ट के आधार पर धनराशि जारी की जाती है। प्रत्येक मोक्षधाम की निर्माण लागत तथा समय अवधि स्थल के आकार तथा सुविधाओं पर निर्भर करती है। छोटे गांव में मोक्षधाम मात्र एक लाख रुपये की राशि में भी निर्मित किए गए हैं जबकि घनी आबादी वाले बड़े गांव में 10 लाख रुपये की राशि से भी मोक्षधाम निर्मित किए गए हैं। राज्य में औसतन प्रत्येक मोक्षधाम की निर्माण लागत पांच लाख रुपये आंकी गई है। प्रत्येक मोक्षधाम की निर्माण अवधि निर्धारित नहीं की गई है लेकिन निर्माण कार्य सामान्यत: संबंधित वित वर्ष में पूरा कर लिया जाना चाहिए।

कहां कितने शमशान घाट बने

इस योजना के अन्तर्गत पिछले पांच सालों में सर्वाधिक 131 शमशान घाट कांगड़ा जिला में विकसित किये गए हैं जिनमें दाह संस्कार, धार्मिक पूजन तथा अन्य अनुष्ठानों के लिए वर्तमान स्थल का विस्तार किया गया है। इसके अलावा जि़लावार शमशान घाटों में बिलासपुर में 9, चम्बा में 127, हमीरपुर में 15, कांगड़ा में 131, कुल्लु में 49, मंडी में 82, शिमला में 20 , सिरमौर में 7, सोलन में 10 तथा ऊना में 27 परंपरागत शमशान घाटों को विकसित करके अतिरिक्त सुविधाएं प्रदान की गई हैं ताकि नागरिक पूरे सम्मान मर्यादा, श्रद्धा से अपने प्रियजनों को अश्रपूर्ण विदाई दे सकें।

15 करोड़ से बनेंगे 457 नए शमशान घाट

्रइस समय राज्य के ग्रामीण विकास विभाग के कुशल विशेषज्ञों की देखरेख में पंचायती राज संस्थाओं द्वारा लगभग 15 करोड़ रूपये की लागत से 457 मोक्षधामों का निर्माण किया जा रहा है तथा इनके निर्माण की प्रगति की समीक्षा निरंतर रूप में खंड जिला तथा राज्य स्तर पर की जा रही है ताकि इनके निर्माण में प्रयुक्त किए जा रहे डिजाईन, सामग्री आदि की गुणवत्ता को सुनिश्चित किया जा सके।

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