एचजीटीयू से वीरेंद्र चौहान निष्कासित, फंड का दुरूपयोग करने के लगे आरोप

हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ ने प्रदेशाध्यक्ष वीरेंद्र चौहान को उनके पद से बर्खास्त किया है। अब इस पद पर कार्यकारिणी ने कैलाश ठाकुर को नया अध्यक्ष नियुक्त किया है। कार्यकारी अध्यक्ष ने शिमला में एक प्रैस वार्ता में जानकारी दी कि वीरेंद्र चौहान ने अध्यक्ष रहते हुुए संघ की गतिविधियों को तानाशाही और अलोकतांत्रिक तरीके से चलाया है। इसके साथ संघ के फंड का भी मनमाने ढंग से इन्होंने यूज किया।

संघ ने ये भी प्रस्ताव तैयार किया है कि वीरेंद्र चौहान यदि संघ से जूड़ी कोई भी गतिविधि करते हैं तो उसे न माना जाए। इस बारे में सरकार को भी प्रस्ताव भेजा गया है। संघ ने आरोपों के आधार पर संघ के अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित किया तथा उन्हें रा’य अध्यक्ष पद से तत्काल प्रभाव से निष्कासित किया। अध्यक्ष कैलाश ठाकुर ने आरोप लगाया कि वह संघ की गतिविधियों को तानाशाही व अलोकतांत्रिक तरीके से चलाकर सच को एकता व अखण्डता को नुकसान पहुंचाना रहे थे। संघ की निधि का मनमाने ढंग से सरकार विरोधी के लिए प्रयोग किया।


इसके साथ ही संघ के पदाधिकारियों को डराना-धमकाना व सरकार के विरोध के लिए उकसाया जाता था। उनका कहना था कि वह संघ का अपने व्यक्तिगत स्वार्थ व राजनीतिक उद्देश्यों को प्राप्ति के लिए प्रयोग कर रहे थे। इसके अलावा सदन ने सर्वसम्मति से कैलाश शकर को कार्यवाहक अध्यक्ष नियुक्त किया। बैठक में यह भी पारित किया गया कि पूर्व अध्यक्ष द्वारा निष्कासित कागड़ा व हमीरपुर की कार्यकारिणी के साथ-साथ जिला शिमला के अध्यक्ष, महासचिव वित्त सचिव के निष्कासन को रद किया गया है।


कैलाश ठाकुर ने यह भी आरोप लगाया है कि वीरेंद्र चौहान ने जनवरी 2020 में संघ से चैक लिए की वह जिलों की कार्यकारिणी में भेजा जाएगा लेकिन आज तक किसी को पैसे नही। उनका कहना था कि संघ के पास 17 लाख रुपए थे लेकिन अब 9 लाख रुपये ही बचे है और इस पैसे का दुरुपयोग हुआ है। गौर रहे कि वर्तमान में वीरेंद्र चौहान संयुक्त कर्मचारी संघ के अध्यक्ष है। इसके साथ ही उन पर शिक्षा विभाग में भी नियुक्ति को लेकर जांच चल रही है। उन पर आरोप है कि शिक्षा विभाग में नौकरी के लिए उन्होंने जो विकलांगता सर्टिफिकेट बनाया, उसकी वैधता पर भी सवाल उठ रहे हैं। इस पूरे मामले की जांच उ‘च शिक्षा विभाग कर रहा है और इस मामले में वीरेंद्र चौहान को नोटिस भी जारी किया गया है।

क्या कहना है वीरेंद्र चौहान का
वीरेंद्र चौहान ने सभी आरोपों को निराधार बताया है। उनका कहना है कि हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ की प्रदेश कार्यकारिणी की किसी भी तरह की कोई बैठक प्रस्तावित नहीं थी और न ही उनको इसकी कोई जानकारी है। संविधान के अनुसार किसी भी तरह की प्रदेश कार्यकारिणी या प्रदेश की आम सभा की कोई बैठक यदि प्रस्तावित की जानी है तो उसके आदेश और अनुमति प्रदेश अध्यक्ष के द्वारा ही दी जाती है और बिना प्रदेश अध्यक्ष की अनुमति के किसी भी तरह की कोई बैठक या चर्चा संघ के दायरे में नहीं आती है। यह वह लोग हैं जो संगठन को कमजोर करने का पिछले & सालों से लगातार काम कर रहे हैं। प्रदेश अध्यक्ष को बनाने में हिमाचल प्रदेश के &4000 मेंबर सम्मिलित है जिनके सदस्यता अभियान के बाद वर्ष 2019-22 के लिए वीरेंद्र चौहान प्रदेश अध्यक्ष के रूप में चुना गया है जिसका कार्यकाल 10 नवंबर 2022 तक रहेगा।

Total
0
Shares
Related Posts
Total
0
Share