शिमला। हिमाचल प्रदेश में ड्रोन उपयोग के लिए 15 दिन में नियम बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सूचना प्रौद्योगिकी विभाग की एक बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि राज्य सरकार प्रदेश के लोगों की सुविधा और निगरानी हेतु ड्रोन व्यवस्था का उपयोग करेगी।
सुक्खू ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ने ड्रोन कंपनी के सहयोग से चंबा, कुल्लू और मंडी जिलों में चिकित्सा क्षेत्र से संबंधित परीक्षण किया है। इसके सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। उन्होंने कहा कि ड्रोन संचालन के लिए सूचना प्रौद्योगिकी विभाग नोडल एजेंसी होगी और संबंधित जिलों के उपायुक्त इस तकनीक का इस्तेमाल करने के इच्छुक संबंधित विभाग को सहयोग देंगे।
उन्होंने कहा कि उपायुक्त ड्रोन हब विकसित करने के लिए स्थानों को चिन्हित करेंगे और इससे विभागों के कामकाज में भी दक्षता आएगी। ड्रोन प्रौद्योगिकी कानून व्यवस्था, आपदा प्रबंधन, विद्युत आपूर्ति लाइनों के पर्यवेक्षण, कृषि, बागवानी, स्वास्थ्य, सड़क संबंधी निगरानी, पर्यटकों की आवाजाही की निगरानी, अवैध खनन और पेड़ों की अवैध कटाई जैसे क्षेत्रों की निगरानी में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि राजस्व, वन, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, तकनीकी शिक्षा और शिक्षा विभाग के 68 अधिकारियों सहित 189 लोगों को ड्रोन उड़ाने का प्रशिक्षण दिया गया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश का पहला ड्रोन फ्लाइंग ट्रेनिंग स्कूल आईटीआई शाहपुर में संचालित किया जा है। हिमाचल के 6 जिलों के 7 आटीआई में ड्रोन तकनीशियन का कोर्स चलाया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने विभाग की विभिन्न नवाचार पहल की भी समीक्षा की और लोगों को बेहतर सुविधा प्रदान करने के लिए आपातकालीन सेवाओं को छोड़कर विभिन्न विभागों की सभी हेल्पलाइनों को मुख्यमंत्री सेवा संकल्प-1100 हेल्पलाइन के साथ एकीकृत करने के निर्देश दिए।
इस बैठक में उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान, विधायक विनय कुमार, नीरज नैय्यर, अजय सोलंकी, मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव भरत खेड़ा, सचिव सूचना प्रौद्योगिकी अभिषेक जैन, निदेशक सूचना प्रौद्योगिकी मुकेश रेपसवाल और राज्य सरकार के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।